अद्धयात्म

गीता के इन श्लोकों में छिपे हैं सफलता के अचूक सूत्र

mahabharat-5536333a2daaf_lगवान श्रीकृष्ण विश्वगुरु हैं। उन्होंने गीता में कर्म योग का जो सूत्र दिया है वह संपूर्ण विश्व के लिए है। मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। यह एक महान दिन है जब गीता का अवतरण इस पृथ्वी पर हुआ।
 
जीवन का ऐसा कोई पहलू नहीं जिसमें समस्याएं नहीं और ऐसी कोई समस्या नहीं जिसके समाधान का मार्ग गीता में न हो। बालक, वृद्ध, विद्यार्थी, सैनिक, शिक्षक हर किसी के लिए गीता अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। 
 
इसके प्रत्येक श्लोक और हर शब्द में श्रीकृष्ण की शक्ति समाई है। यूं तो गीता के हर श्लोक का महत्व है लेकिन इसके कुछ श्लोक विशेष महत्वपूर्ण हैं। जानिए ऐसे ही कुछ श्लोकों के बारे में जिन पर हमें मनन करना चाहिए।
 
 कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।
 
अर्थ-  हे अर्जुन, कर्म करने में तेरा अधिकार है। उसके फलों के विषय में मत सोच। तू कर्मों के फल का हेतु मत हो और कर्म न करने के विषय में भी तू आग्रह न कर।
 
योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
 
अर्थ- हे अर्जुन, कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि, योग युक्त होकर, कर्म कर, क्योंकि समत्व को ही योग कहते हैं।
 
नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।
न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।
 
अर्थ- योग रहित पुरुष में निश्चय करने की बुद्धि नहीं होती और मन में भावना नहीं होती। ऐसे भावना रहित पुरुष को शांति नहीं मिलती और जिसे शांति नहीं, उसे सुख कहां से मिलेगा।
 
 विहाय कामान् य: कर्वान्पुमांश्चरति निस्पृह:।
निर्ममो निरहंकार स शांतिमधिगच्छति।।
 
अर्थ- जो मनुष्य सभी इच्छाओं व कामनाओं को त्याग कर ममता रहित और अहंकार रहित होकर अपने कर्तव्यों का पालन करता है, उसे ही शांति प्राप्त होती है।
 
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्।
कार्यते ह्यश: कर्म सर्व प्रकृतिजैर्गुणै:।।
 
अर्थ- कोई भी मनुष्य क्षण भर भी कर्म किए बिना नहीं रह सकता। सभी प्राणी प्रकृति के अधीन हैं और प्रकृति अपने अनुसार हर प्राणी से कर्म करवाती है, उसके परिणाम देती है।
 
ये यथा मां प्रपद्यन्ते तांस्तथैव भजाम्यहम्।
मम वत्र्मानुवर्तन्ते मनुष्या पार्थ सर्वश:।।
 
अर्थ- हे अर्जुन, जो मनुष्य मुझे जिस प्रकार भजता है उसी के अनुरूप मैं उसे फल प्रदान करता हूं। सभी लोग सब प्रकार से मेरे ही मार्ग का अनुसरण करते हैं।

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