मोदी सरकार दिशाहीन, अर्थव्यवस्था शिथिल: पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम
नयी दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज अर्थव्यवस्था के प्रबंधन को लेकर सरकार की खिंचाई करते हुये कहा कि वह पूरी तरह दिशाहीन दिशा हो गई है, स्थिति पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है और अर्थव्यवस्था शिथिल पड़ चुकी है। चिदंबरम ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार से सवाल किया कि उसे सत्ता संभाले 19 महीने हो चुके हैं, पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोजगार उपलब्ध कराने और निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने का जो वादा किया था, वह कहां है।
चिदंबरम ने कहा, इन सब बातों से स्थिति पर नियंत्रण और समस्या से निपटने की क्षमता का अभाव दिखता है। यह पूरी तरह दिशाहीनता है। संसद में शुक्रवार को पेश मध्यावधि आर्थिक विश्लेषण में सरकार ने वित्त वर्ष 2015-16 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 8.1-8.5 प्रतिशत से घटाकर 7-7.5 प्रतिशत कर दिया। सरकार ने कहा कि सातवें वेतन आयोग और पूर्व सैनिकों के लिये वन रैंक वन पेंशन व्यवस्था लागू करने के मद्देनजर राजकोषीय घाटे को कम कर 3.5 प्रतिशत पर लाने के लक्ष्य पर दबाव रहेगा।
यह पूछने पर कि सरकार कहां कमजोर पड़ रही है, उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता है कि उनका स्थिति पर नियंत्रण है। जो उन्होंने वादा किया था वह रोजगार कहां है, निजी क्षेत्र में निवेश कहां है जिसके बारे में उन्होंने कहा था कि उनके सरकार में आने पर यह आएगा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था शिथिल पड़ चुकी है। संप्रग सरकार ने जब सत्ता छोड़ी थी तो वर्ष 2013-14 में वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा, 2014-15 की पहली तिमाही में वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत या इतनी ही कुछ थी। अब डेढ़ साल बाद हम उसी 7.3 प्रतिशत के दायरे में अटके नजर आते हैं। इसलिए यह कहना उचित है कि अर्थव्यवस्था पिछले 18 महीने से शिथिल पड़ी है। इसके में कोई वृद्धि या बढ़ोतरी बिल्कुल नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आ रहा है लेकिन जो पहले आ रहा था, उससे अधिक नहीं।
चिदंबरम से अगले बजट से उम्मीदों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, मध्यावधि समीक्षा से संकेत मिलता है कि अगला बजट चुनौतीपूर्ण होगा। क्या उनमें इस चुनौती से मुकाबले की क्षमता है? हमें इंतजार करना होगा। सामाजिक व्यय में और कटौती की आशंका जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने व्यय पहले ही घटा दिया है।
वर्तमान दर पर सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर ब्याज दर से कम रहने के बीच सरकार को अगले तीन महीने में व्यय में और कटौती करनी होगी यदि वह चाहती है कि चालू वित्त वर्ष 2015-16 के लिए तय 3.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे का लक्ष्य पूरा हो। उन्होंने कहा कि कच्चे तेल की कीमत का छह साल के न्यूनतम स्तर पर आना सरकार के लिए दोहरा अप्रत्याशित लाभ है कि तेल आयात का बिल कम है और इसलिए सब्सिडी भी कम है। दूसरी ओर उत्पाद एवं सेवा शुल्क बढ़ा दिया गया ताकि भारी मात्रा में राजस्व संग्रह किया जा सके। इसलिए दोहरा लाभ है।
सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में सुस्ती के लिए विरासत में मिली समस्या को जिम्मेदार ठहराने के संबंध में चिदंबरम ने कहा, कब तक वे पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराते रहेंगे जो 19 महीने पहले जा चुकी है। कब तक वे उस पर दोष मढ़ेंगे उन्होंने कहा, वे पिछली सरकार पर ही दोषारोपण नहीं कर सकते। हर सरकार के पास पिछली सरकार से मिली कुछ समस्याएं होती हैं। फिर आपने सरकार के कामकाज के मामले में दो साल तक यथास्थिति रहने की बात की होती।
सरकार के चालू वित्त वर्ष में एफडीआई में 40 प्रतिशत बढ़ोतरी के दावे के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा आंकड़ों से ऐसे रझान का संकेत नहीं मिलता है। एक गलती जो हर कोई करता है कि आप एक आंकड़े को सिद्ध करने के लिए दूसरा आंकड़ा लेते हैं जिससे रझान का संकेत नहीं मिलता।
अर्थव्यवस्था या सांख्यिकी का कोई भी छात्र आपको यह बता सकता है। 10 साल की अवधि में एफडीआई 35-45 अरब डालर के दायरे में रहा। इस साल भी इसी दायरे में रहा। कांग्रेस पर राष्ट्र की प्रगति में बाधा डालने का के आरोप के बारे में उन्होंने कहा, कौन सा ऐसा विधायी कदम है जिसमें कांग्रेस ने अडंगा लगाया। पिछले दो सत्रों में उन्होंने शेखी बघारी कि संसद में क्षमता से 100 प्रतिशत अधिक काम हुआ। ऐसा कैसे हो सकता है यदि विपक्ष ने सहयोग न किया होता।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था से जुड़ा सिर्फ एक विधेयक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) है रका है। चिदंबरम ने कहा, लेकिन जीएसटी किसने रोका। जीएसटी विधेयक को बिना किसी वजह के भाजपा ने बरसों तक रोका। हां, हम यह स्वीकार करते हैं कि हम अब जीएसटी विधेयक को रोक रहे हैं लेकिन हम लिखित में अपनी आपत्ति जाहिर करने के बाद रोक रहे हैं।