दुबई में नौकरी के बहाने जहाज पर महीनों बंधक बना रहा ये लड़का
हिमाद्रि इस साल जनवरी में शारजाह से दुबई गया था, जहां उसे जहाज पर ही बंधक रखा गया था। रविवार को रामूवालिया के आवास पर पत्रकारों से रू-ब-रू हिमाद्रि ने बताया कि न तो बंधकों को जहाज से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था। बंधुआ मजदूरों जैसे काम कराया जाता। समय पर खाना भी नहीं दिया जाता था।
हिमाद्रि ने बताया कि हैदराबाद की विहान शिपिंग कंपनी की शारजाह शाखा में अक्तूबर 2014 में वह चीफ ऑफिसर नियुक्त हुआ। जनवरी 2015 में कंपनी ने उसे दुबई भेजा। 18 जनवरी 2015 को जब जहाज शारजाह पोर्ट से करीब 20 किलोमीटर दूर रह गया तो उसे वहीं रुकने के आदेश दे दिए गए।
जहाज में 11 लोगों के रहने की ही क्षमता थी, इतने ही लोग उसमें थे भी। पर बाद में सात और लोगों को वहां ले आया गया। उन्हें भी जहाज पर ही रहने को कहा गया। कारण पूछने पर कोई जानकारी नहीं दी जाती। जहाज से उन्हें बाहर नहीं जाने दिया जाता। समय पर खाने को भी नहीं मिलता। अलबत्ता पूरा काम कराया जाता।
हिमाद्री ने बताया कि कंपनी के अधिकारियों द्वारा शिप पर मौजूद लोगों की कोई सुनवाई नहीं की जा रही थी। इस पर उसने इंटरनेट पर हेल्पिंग हेल्पलेस नाम की एनजीओ से संपर्क किया।
यह एनजीओ कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया की बेटी अमनजोत कौर चलाती हैं। अमनजोत कौर ने� पिता को इसकी जानकारी दी। रामूवालिया ने बताया कि उन्होंने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इसकी जानकारी देकर हस्तक्षेप की मांग की।
जहाज पर 16 भारतीय, एक पाकिस्तानी और म्यांमार का नागरिक था। अभी दो और युवकों राना और राजेश को वापस लाया जाना है। इसके बाद बाकी भारतीयों को भी वापस लाए जाने की कोशिश होगी।
रामूवालिया ने कहा अखबारों में विदेशों में नौकरियों के तमाम विज्ञापन आते हैं। इसका फायदा ट्रेवल एजेंसी के लोग उठाते हैं। इसलिए इस विषय पर सरकार से बात करूंगा। पुलिस की मदद से इनके उत्पीड़न को रोका जाए। कहा, इस मामले में दूसरी राजनीतिक पार्टियों से भी बात करना जरूरी है। इसे मानव तस्करी के तौर पर देखा जाना चाहिए।