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जनता को रुला चुकी प्याज अब किसानों को रुलाएगी
जनता को रुला चुकी प्याज अब किसानों को रुलाएगी। मंडियों में प्याज के थोक व खुदरा दाम घटकर आधे पर आ गए हैं। किसानों ने प्याज के बढ़ते भाव को देखते हुए मुनाफा कमाने वाली फसल मानते हुए इसका रकबा बढ़ा दिया था।
अब मण्डी में प्याज की आवक होने लगी तो दाम गिर गए हैं। नई आवक दिसम्बर के अंत में और बढ़ेगी, एेसे में प्याज के भावों का और गिरना निश्चित है। राजधानी की मुहाना मंडी में एक पखवाड़े में प्याज के दाम थोक व खुदरा में पांच रुपए तक गिर चुके हैं। यहां सोमवार को थोक में प्याज 11 से 13 रुपए और खुदरा में 15-18 रुपए किलो बिका।
घटाया समर्थन मूल्य : केंद्र सरकार ने प्याज की बंपर पैदावार देखते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य 46 हजार रुपए प्रति टन से घटाकर 26 हजार रुपये प्रति टन कर दिया है। इसके पीछे की मंशा निर्यात को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्याज की घरेलू कीमतों पर शानदार आवक का दबाव पडऩे से रोकने की है। ऐसे में किसानों के लिए उम्मीद की कोई किरण नहीं दिख रही। उन्हें ताजा खरीफ फसल से ही अच्छी कमाई करनी होगी।
90 रुपए तक पहुंच गए थे भाव
जुलाई-नवंबर में प्याज की खुदरा कीमत 60 रुपए प्रति किलो से 90 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई थी। किसानों के अनुसार पिछले साल आवक में बढ़ोतरी के बावजूद प्याज के दाम नियंत्रण में थे, इस साल एेसा संभव नहीं लग रहा है।
50 फीसदी गिरे दाम
देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में एक दिसंबर की तुलना में सोमवार को प्याज का थोक मूल्य 50 प्रतिशत तक कम हो गया। मंडी में पहुंच रहे खरीफ फसल में 60 प्रतिशत की वृद्धि इसकी वजह मानी जा रही है। महाराष्ट्र के नासिक स्थित लासलगांव में सोमवार को मंडी में प्याज 10.60 रुपए प्रति किलो मिल रहा था जबकि एक दिसंबर को इसका भाव 19 रुपए प्रति किलो था।
जुलाई से नवंबर तक प्याज की कीमत आसमान छू रही थी, इसलिए किसानों ने ज्यादा लाभ कमाने की उम्मीद में फसल का रकबा बढ़ा दिया। इसका असर यह हुआ कि एक दिसंबर को जहां 12,600 क्विंटल प्याज मंडी में पहुंचा, वहीं सोमवार को यह मात्रा बढ़कर 20,000 क्विंटल तक पहुंच गई। उम्मीद की जा रही है कि जनवरी में प्याज के आवक में और वृद्धि होगी।