देश में पासवर्ड साक्षरता को बढ़ाती उत्तराखंड पुलिस
देहरादून: वर्ल्ड पासवर्ड डे का हर व्यक्ति के साइबर, डिजिटल जीवन में बड़ा महत्व है क्योंकि पासवर्ड का हम सबके जीवन में बहुत महत्व है। वर्ल्ड पासवर्ड डे प्रत्येक वर्ष मई माह के पहले वृहस्पतिवार को मनाया जाता है । इस बार यह भारत सहित विश्व के देशों में 5 मई को मनाया गया। हमारी भिन्न भिन्न विषयों से जुड़ी जानकारी तक कोई अवैध रूप से ऑनलाइन पहुँच न बना सके , हमारे पर्सनल डिजिटल स्पेस में कोई घुसपैठ न कर सके , हमारी निजता का हनन न कर सके , इसके लिए मजबूत पासवर्ड का होना जरूरी है और पासवर्ड को समय-समय पर बदलते रहना भी जरूरी है ताकि साइबर हैकर के मंसूबे पूरे ना हो सके और एक साइबर सुरक्षित भारत के निर्माण में हम अपना योगदान दे सकें।
ईमेल चेक करना हो, तो पासवर्ड, सोशल मीडिया अकाउंट्स हैंडल करने हों तो पासवर्ड, नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करना हो तो पासवर्ड , पासवर्ड हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा और डिजिटल भारत और डिजिटल वर्ल्ड का ब्रैंड एम्बेसडर जैसा बन चुका है। अब जब यह इतना महत्वपूर्ण है और लोगों की आइडेंटिटी और आर्थिक वित्तीय सुरक्षा का इतना जरूरी जरिया है तो इसकी सुरक्षा के हर संभव प्रयास करने जरूरी हैं और देश में पासवर्ड साक्षरता का प्रसार हर स्तर पर होना चाहिए।
इसी कड़ी में उत्तराखंड पुलिस ने सोशल मीडिया पर पासवर्ड साक्षरता को बढ़ाने के उद्देश्य से आज वर्ल्ड पासवर्ड डे के अवसर पर एक महत्वपूर्ण संदेश जारी किया है। उत्तराखंड पुलिस ने मजाकिया लेकिन सार्थक लहजे में सोशल मीडिया पर लिखा है कि ” इस बार के अंतरराष्ट्रीय पासवर्ड डे पर आप लोग यह सुनिश्चित करें कि आपका पासवर्ड उतना कठिन हो जितना एलन मस्क के बच्चे का नाम जिससे ऑप्टिमल डिजिटल सिक्योरिटी हो सके। आप लोग साइबर सुरक्षित बने रहें ” ।
उत्तराखंड पुलिस ने क्रिएटिव तरीके से इस संबंध में जारी किये गए पोस्टर में ट्विटर के मालिक एलन मस्क के बेटे का नाम X Æ A-Xii बताया है। ज़ाहिर सी बात है कि यह नाम मनोविनोद में गढ़ा गया है लेकिन यह एक बहुत ही अर्थपूर्ण संदेश देता है कि आप अपने पासवर्ड को इस तरीके से यूनिक और कठिन बनाएं जिससे कि उसे ट्रैक क्रैक न किया जा सके।
फर्नांडो कोरबेटो ने बनाया था पहला पासवर्ड :
फर्नांडो कोरबेटो नाम के एक कंप्यूटर साइंटिस्ट ने सन् 1960 में एमआईटी यानी मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में काम करते हुए इस इंस्टीट्यूट के अन्य शोधकर्ताओं के साथ मिलकर एक बड़ा टाइम शेयरिंग कंप्यूटर सीटीएसएस बनाया था। MIT के टाइम शेयरिंग सिस्टम पर ही पहला पासवर्ड बनाया गया था। सीटीएसएस ने कंप्यूटर के इस्तेमाल से जुड़ी ऐसी बहुत सी चीजें बनाईं, जिनका आज हम इस्तेमाल करते हैं. इनमें ईमेल, मैसेजिंग, वर्चुअल मशीन और फाइल शेयर करना शामिल है।
( लेखक दस्तक टाइम्स के उत्तराखंड संपादक हैं )