केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा- भाजपा ने पूर्वोत्तर में ‘भ्रष्टाचार की संस्कृति’ को समाप्त किया
नामसई: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पूर्वोत्तर भारत में ‘‘भ्रष्टाचार की संस्कृति” को समाप्त किया है और विकास कार्यों के लिए निर्धारित धन अब आखिरी व्यक्ति तक पहुंचता है, जबकि ‘‘कांग्रेस के शासन में अधिकतर राशि बिचौलिए हड़प जाते” थे। शाह ने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासन के 50 साल में इस क्षेत्र को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने के बाद ही इस क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ।
उन्होंने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री से यह सवाल करने पर कांग्रेस पर निशाना साधा कि उन्होंने क्षेत्र के लिए किया क्या है। शाह ने कहा कि यदि कांग्रेस आंखें बंद रखेगी, तो वह विकास को देख नहीं पाएगी। शाह ने कहा, ‘‘राहुल गांधी, आंखें खोलिए और इतालवी चश्मे उतारकर भारतीय चश्मे पहनिए। तभी आप क्षेत्र में मोदी द्वारा किए गए विकास को देख पाएंगे, जो आपकी पार्टी 50 साल में करने में नाकाम रही।”
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के शासन के दौरान इस क्षेत्र के लिए दी गई विकास निधि को बिचौलियों ने हड़प लिया, लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के केंद्र की सत्ता में आने के साथ ही भ्रष्टाचार की संस्कृति समाप्त हो गई है और एक-एक पैसे का उपयोग पूरी पारदर्शिता के साथ किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने सुनिश्चित किया है कि विकास का पैसा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे।” शाह ने दावा किया कि पूर्ववर्ती सरकारों की त्रुटिपूर्ण नीतियों के कारण पूर्वोत्तर को पहले उग्रवाद के लिए जाना जाता था, लेकिन अब शांति स्थापित हो गई है, क्योंकि केंद्र ने अधिकतर उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्र में पिछले आठ साल में कम से कम 9,600 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है और वे मुख्यधारा में शामिल हुए हैं। पूर्वोत्तर के युवा अब बंदूक संस्कृति में रुचि नहीं लेते और स्टार्ट-अप शुरू कर रहे हैं। केंद्र क्षेत्र में शांति एवं विकास लाने के लिए प्रतिबद्ध है।” गृह मंत्री ने अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच दशकों पुराने सीमा विवाद का जिक्र करते हुए सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘मुख्यमंत्रियों (अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री) पेमा खांडू और (असम के मुख्यमंत्री) हिमंत बिस्व सरमा इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं और मुझे यकीन है कि इसे जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।”
असम से अलग होकर बना अरुणाचल प्रदेश शुरू में एक केंद्रशासित प्रदेश था। यह 1987 में एक पूर्ण राज्य बना। दोनों राज्यों के बीच 804.1 किलोमीटर लंबी सीमा है। पूर्वोत्तर राज्यों के पुनर्गठन के दौरान उत्पन्न हुआ सीमा विवाद अब उच्चतम न्यायालय में लंबित है। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के विकास के लिए त्रिस्तीय एजेंडा तैयार किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा पहला उद्देश्य पूर्वोत्तर की बोलियों, भाषाओं, पारंपरिक नृत्य, संगीत और भोजन को न केवल बचाना है, बल्कि उन्हें समृद्ध करना और राष्ट्र का गौरव बनाना भी है।” शाह ने कहा कि दूसरा लक्ष्य सभी विवादों को समाप्त करना और क्षेत्र के युवाओं को एक ऐसा मंच मुहैया कराना है, जिसके जरिए वे दुनिया के युवाओं से प्रतिस्पर्धा कर सकें।
कहा, ‘‘इस प्रकार का विवाद मुक्त, शांतिपूर्ण, उग्रवाद मुक्त और हथियार मुक्त पूर्वोत्तर का निर्माण करना हमारी जिम्मेदारी है।” उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा लक्ष्य क्षेत्र के सभी आठ राज्यों को देश के सबसे विकसित राज्यों की सूची में शीर्ष स्थान पर पहुंचाना है।” इससे पहले शाह ने केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू, मुख्यमंत्री खांडू और उपमुख्यमंत्री चौना मीन के साथ तेंगापानी स्थित गोल्डन पैगोडा में पूजा-अर्चना की।