नई दिल्ली : किसी के शरीर पर पड़े अनचाहे नीले निशान हेल्थ के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं। कई बार ऐसे निशान चोट के कारण होते हैं तो कई बार अचानक ही ऐसे निशान पड़ जाते हैं। चोट लगने से नसों को नुकसान पहुंचता है, जिससे शरीर पर नील के निशान पड़ जाते हैं। इसके अलावा नीले निशान बढ़ती उम्र, पोषण की कमी, हेमोफिलिया और कैंसर जैसी बीमारी का लक्षण भी हो सकते हैं।
खून के थक्कों और जख्मों को भरने में कुछ विटामिन और मिनरल की अहम भूमिका होती हैं । भोजन में विटामिन K, C और मिनरल की कमी से शरीर पर नीले निशान दिखाई देने लगते हैं। विटामिन K खून को जमने में मदद करता है। साथ ही विटामिन सी स्किन और नसों में अंदरुनी चोट से बचाव करता है।
कैंसर के उपचार के दौरान कीमोथेरेपी के कारण भी शरीर पर नीले निशान दिखाई देने लगते है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कीमोथेरेपी के कारण रोगी का ब्लड प्लेटलेट्स बहुत नीचे आ जाता है और इससे शरीर में नील के निशान दिखाई देने लगते हैं।
कुछ दवाइयों और सप्लीमेंट के इस्तेमाल से भी शरीर पर ये निशान पड़ने लगते हैं। वार्फेरिन और एस्पिरिन जैसी खून को पतला करने वाली कुछ दवाइयों के कारण खून जमने से रुक जाता है। प्राकृतिक सप्लीमेंट जैसे जिन्को बिलोबा, मछली का तेल और लहसुन का अधिक इस्तेमाल भी खून को पतला कर देता है। इस कारण भी नीले निशान पड़ने लगते हैं।
बुजुर्ग लोगों के हाथों के पीछे नीले निशान पड़ना बहुत ही सामान्य है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नसें कमजोर हो जाती हैं। ये निशान लाल रंग से शुरू होकर, हल्के बैंगनी और गहरे रंग के होते हुए फिर हल्के होकर गायब हो जाते हैं।
वॉन विलीब्रांड डिजीज एक ऐसी अवस्था है, जिसमें बहुत अधिक खून बहने लगता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को छोटी-सी चोट के बाद भी अक्सर शरीर में नीले निशान दिखाई देने लगते हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि शरीर में होने वाले किसी भी परिवर्तन को गंभीरता से लेना चाहिए। आमतौर पर चोट लगने पर त्वचा पर नीले निशान पड़ते हैं, लेकिन अगर ये निशान लंबे समय तक और बार-बार पड़ रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।