नई दिल्ली। अलगाववादी नेता यासीन मलिक लंबे समय से कश्मीर को भारत के खिलाफ साजिश रचता रहा है। उसने 1983 में साथियों के साथ श्रीनगर स्टेडियम में उस पिच को खोद दिया था, जहां भारत-वेस्टइंडीज के बीच मैच होने जा रहा था। यहीं से यासीन चर्चा में आया। फिर ताला पार्टी का नाम बदलकर इस्लामिक स्टूडेंट लीग(आईएसएल) रख दिया। बाद में इसी आईएसएल से मजीद वानी, अब्दुल हामिद और जावेद मीर जैसे कुख्यात आतंकी निकले और वह कुख्यात हो गया।
यासीन मलिक का जन्म 3 अप्रैल 1963 को श्रीनगर के मैसूमा इलाके में हुआ था। उसके पिता गुलाम कादिर मलिक एक सरकारी बस ड्राइवर थे। यासीन की पूरी पढ़ाई-लिखाई श्रीनगर में ही हुई है। श्री प्रताप कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले यासीन मलिक ने एक साक्षात्कार में एक आम छात्र से प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया बनने तक की कहानी बताई थी। उसने दावा किया था कि कश्मीर में सेना का जुल्म देखकर उसने हथियार उठाया।
मकबूल भट्ट को मानता है आदर्श
वह 1988 में जेकेएलएफ से जुड़ा था। यासीन मलिक मकबूल भट्ट को अपना आदर्श मानता है। भट्ट जेकेएलएफ का संस्थापक था, जिसे 1984 में फांसी पर चढ़ा दिया गया था।
पत्नी भी ट्रेंड करने लगी
यासीन मलिक के चर्चा में आने के साथ ही उनकी पत्नी मुशाल हुसैन मलिक भी ट्रेंड करने लगी। वह अपने सोशल मीडिया में भारत के खिलाफ जहर उगलने को लेकर चर्चा में हैं। यासीन मलिक की मुशाल हुसैन से मुलाकात 2005 में हुई थी। यासीन कश्मीर के अलगाववादी मूवमेंट के लिए पाकिस्तान का समर्थन मांगने वहां गया था। वहां यासीन के भाषण को सुनने के बाद मुशाल हुसैन उससे प्रभावित हो गई। 2009 को यासीन मलिक ने पाकिस्तानी कलाकार मुशाल हुसैन से निकाह किया। मार्च 2012 में मुशाल और यासीन को एक बेटी हुई। उसका नाम रजिया सुल्ताना है। मुशाल हुसैन अपने शौहर यासीन से उम्र में 20 साल छोटी है। मुशाल भी भारत के खिलाफ छद्म युद्ध में सक्रिय रहती है।
अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मिली सजा सीमापार से आतंकी फंडिंग पर कड़ा प्रहार है। यासीन पर लगे आरोपों को साबित करने के लिए एनआईए ने पुख्ता सबूत जुटाए और विभिन्न कड़ियों को जोड़ा। मामला जमात-उद-दावा के अमीर हाफिज मुहम्मद सईद और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के सदस्यों, कैडरों सहित अलगाववादी नेताओं की साजिश से संबंधित है, जिन्होंने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के सक्रिय आतंकवादियों के साथ मिलीभगत से काम किया था। हिजबुल मुजाहिदीन, दुख्तारन-ए-मिल्लत, लश्कर-ए-तैयबा और अन्य अलगाववादी संगठनों के साथ आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए हवाला सहित अन्य अवैध माध्यमों से घरेलू और विदेशों से धन जुटाने और एकत्र करने के साक्ष्य मिले थे। जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूलों को जलाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़कर कश्मीर घाटी में व्यवधान पैदा करने के लिए इस धनराशि का उपयोग किया गया। मामला स्वत: संज्ञान लेते हुए 30 मई 2017 को दर्ज किया गया था।
2018 में आरोप पत्र दायर
दो फरार आरोपी व्यक्तियों हाफिज मोहम्मद सईद, लश्कर प्रमुख और हिजबुल के मोहम्मद सलाहुद्दीन सहित 12 आरोपियों के खिलाफ 18 जनवरी 2018 को आरोप पत्र दायर किया गया था। जांच में एनआईए को पक्के सबूत मिले थे मलिक का गैरकानूनी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का प्रमुख है। वह जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल है।
अराजकता में धकेला
वर्ष 2016 में मलिक ने अन्य हुर्रियत नेताओं के साथ ‘संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व’ नामक एक स्वयंभू समूह का गठन किया। इसके द्वारा जनता को विरोध, प्रदर्शन, हड़ताल, बंद, सड़क-अवरोध और ऐसी अन्य विघटनकारी गतिविधियों को करने के लिए निर्देश जारी करना शुरू कर दिया जो पूरे समाज को अराजकता में धकेल दो। वह सीमापार के व्यापारियों, विदेशों में स्थित विभिन्न संस्थाओं से धन जुटा रहा था। आतंकियों, पत्थरबाजों व अलगाववादी तत्वों के बीच यह पैसा बांटा जाता था।