अद्धयात्म

माता जानकी को ढूंढने के लिए सुग्रीव ने वानरों को दिया था एक माह का समय, खाली हाथ लौटने पर मिलती ये सजा

जब बालि को मार कर श्री राम ने किष्किंधा का राज्य फिर से सुग्रीव को दिला दिया तो वह विषय वासना में सीता माता की खोज करने का वादा भी भूल गया. श्री राम ने लक्ष्मण जी से कहा कि सुग्रीव को बिना मारे धमका दो कि यदि उसने अपना वादा पूरा नहीं किया तो बालि की तरह उसका भी वध कर दिया जाएगा. इसके बाद सुग्रीव को अपनी गलती का अहसास हुआ श्री राम से माफी मांगी तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा, हे भाई तुम तो मुझे भरत के समान प्रिय हो, अब तो तुम वही उपाय करो जिससे सीता जी के बारे में कोई खबर मिले. श्री राम और सुग्रीव के बीच वार्ता हो ही रही थी कि चारो तरफ से वानरों के झुंड के झुंड वहां पहुंच गए. सभी वानर प्रभु श्री राम के दर्शन करने को व्याकुल हैं और एक-एक कर उनके चरणों में सिर नवाते हैं. श्री राम ने भी सभी वानरों से अलग-अलग परिचय जान कुशल क्षेम पूछी.

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