आपने बहुत बार देखा होगा कि कई बच्चों को नींद में चलने की बीमारी होती है। इसे स्लीपवॉकिंग भी कहते हैं मतलब नींद में चलना। एक ऐसा व्यवहार जिसमें बच्चा रात में उठकर चलता है या अन्य गतिविधियां करता है।
हालांकि इस स्थिति के बारे में स्पष्ट रूप से बता पाना कि किस कारण से बच्चे नींद में चलते हैं। इसके कई कारण हैं। हालांकि इसे बीमारी नहीं कहा जा सकता है लेकिन इसे बच्चों को कई परेशानी हो सकती है। साथ ही उनकी जान को भी खतरा हो सकता है क्योंकि गहरी नींद में चलते हुए बच्चों को पता नहीं होता है कि वे क्या कर रहे हैं और कहां जा रहे हैं। कई बार बच्चे घर की सीढ़ियों पर चलने लगते हैं, तो कई बार घर से बाहर सड़कों पर चलने लगते हैं। ऐसे में स्थिति बहुत भयानक हो सकती है। इसके अलावा अगर आपका बच्चे को स्लीपवॉकिंग की समस्या है, तो यात्रा के दौरान भी आपको काफी सचेत रहने की जरूरत होती है ताकि किसी अनहोनी को कम किया जा सके। बच्चों के नींद में चलने के कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं
बच्चों के नींद में चलने के कारण
- वंशानुगत मतलब परिवार में ये समस्या किसी को रही हो।
- नींद की कमी या गहरी नींद में होना।
- स्लीप एपीनिया यानी किसी परेशानी के कारण नींद बाधित होना।
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- बच्चे का नींद की दवाएं लेना।
- किसी प्रकार के डर, ।
- सोने के माहौल या समय में बदलाव होना।
- सिर की चोट के कारण नींद में चलना।
नींद में चलने के लक्षण
- नींद में रहने के दौरान बच्चे कई गतिविधियां करते हैं। जैसे बिस्तर पर बैठना और बार-बार हरकतों को दोहराना।
- नींद में चलने वाले बच्चों की आंखे खुली रहती है लेकिन वह वास्तव में गहरी नींद में होते हैं।
- बात करने पर प्रतिक्रिया न देना और एक रास्ते पर चलते रहना।
- नींद में बात करने की आदत।
- गलत जगहों पर पेशाब करना या खिलौने से खेलना।
बच्चों को नींद में चलने से कैसे रोकें
अपने बच्चे को नींद में चलने से रोकने के लिए आप कई उपाय अपना सकते हैं। इससे बच्चा नींद में चलना बंद कर सकता है और आराम से एक ही जगह सो सकता है।
- आप बच्चे के नींद में चलने का समय रिकॉर्ड कर लें कि हर रात आपका बच्चा कितने बजे नींद में चलना शुरू कर देता है। उसके बाद आप उस समय से 15 मिनट पहले बच्चे को उठाने की कोशिश करें। उन्हें पूरी तरह से उठाने की बजाय केवल गहरी नींद को थोड़े देर के लिए उठाएं। इससे बच्चा अपनी नींद में चलने की आदत को कम कर सकता है।
- इसके अलावा डॉ राजीव के अनुसार, गहरी नींद में होने के दौरान बच्चे इस तरह की हरकत करते हैं। ऐसे में पेरेंट्स बच्चे को दिन में ही थोड़ी देर के लिए सुला दें। इससे भी बच्चे को रात में गहरी नींद नहीं आएगी और वह नींद में चलने की आदत छोड़ सकता है।
- कई बार घबराहट और तनाव की वजह से बच्चों में ये समस्या हो सकती है। ऐसे में कोई अच्छा संगीत सुनाकर बच्चे को सुलाने की कोशिश करें।
- हो सके तो बच्चे के साथ सोने की कोशिश करें और माथे पर प्यार से थपकी देते हुए सुलाएं। इससे बच्चे को रात में डर नहीं लगेगा और नींद में चलने की आदत भी नहीं रहेगी।
- सोते वक्त यह ध्यान रहे कि बच्चे का कमरा शांत और आरामदायक हो।
- इसके अलावा बच्चे को सोने से पहले वॉशरूम जरूर ले जाएं।
बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाने की कब जरूरत है
- अक्सर नींद में चलने के दौरान बच्चा खुद को चोट पहुंचा रहा है, तो उस स्थिति में आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिए।
- अगर नींद में चलने के दौरान आपका बच्चा घर छोड़कर चला जाता है।
- स्लीपवॉकिंग के कारण बच्चा दिनभर सोता रहता है।
- इसके अलावा अगर आपका बच्चा हमेशा परेशान या तनाव में दिख रहा है, तो उस स्थिति में भी आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
सावधानियां
- डॉ राजीव के अनुसार, अगर आपके बच्चे को नींद में चलने की परेशानी है, तो आपको काफी सर्तक रहने की जरूरत है। यात्रा के दौरान उन्हें रात में बांधकर रखें।
- खतरनाक वस्तुओं को बच्चे की पहुंच से दूर रखें।
- रात में खिड़कियां और दरवाजे अच्छे से बंद करें। कोशिश करें कि बाहर के दरवाजे की कुंडी बच्चे की पहुंच से बाहर हो।
- बच्चों को ग्राउंड फ्लोर वाले रूम पर सुलाने की कोशिश करें ताकि बच्चा सीढ़ियों से दूर रहे।
- वॉटर हीटर और रूम हीटर जैसी चीजों को भी बच्चे से दूर रखें।
- कार या किसी भी वाहन की चाबियां हटाकर रखें।