नगर पालिका और नगर परिषद के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी, ओबीसी को मिली 28 सीटें
भोपाल। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों (Three tier panchayat elections) के कार्यक्रम जारी होने के बाद नगरीय निकाय चुनावों की तैयारियां (Preparations for urban body elections) भी जोर-शोर से जारी हैं। प्रदेश में कुल 99 नगर पालिका और 298 नगर परिषदें हैं, जहां चुनाव होने हैं। इसके लिए मंगलवार को आरक्षण की प्रक्रिया संपन्न हुई। भोपाल के रविंद्र भवन में 4 घंटे तक चली इस आरक्षण की कार्रवाई के बाद तस्वीर साफ हुई।
कुल 99 नगर पालिका में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन जनजाति वर्ग के लिए आरक्षण किया गया। इसमें अजा वर्ग के लिए 15 पद आरक्षित किए गए। अजजा के लिए 6 सीटें आरक्षित हुईं। वहीं, ओबीसी को 28 फीसदी से ज्यादा का आरक्षण मिला। कुल 99 में से ओबीसी के लिए 28 पद आरक्षित किए गए। शेष बची 50 नगर पालिकाएं अनारक्षित हो गई। इनमें से आधी यानी 25 नगर पालिका अध्यक्ष के पद महिलाओं के आरक्षित किए गए।
इसके बाद कुल 298 नगर परिषदों के आरक्षण की कार्रवाई शुरू हुई, जो करीब तीन घंटे तक चली। इनमें 35 नई परिषदों के लिए आरक्षण हुआ। इनमें पहली बार चुनाव होंगे। वहीं, बाकी बची 263 में भी आरक्षण किया गया। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए 131 नगर परिषदें आरक्षित हुई, जबकि बाकी बची 132 परिषदें अनारक्षित रही। इनमें से 66 पद महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए।
मध्य प्रदेश में 16 नगर निगमों के महापौर पद के लिए भी चुनाव होना है, लेकिन इन पदों के लिए नया आरक्षण नहीं होगा। महापौर के लिए दिसंबर 2020 में कराई गई आरक्षण प्रक्रिया ही मान्य होगी। विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी एवं नगरीय प्रशासन व विकास विभाग के कमिश्नर निकुंज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि नगर पालिका परिषद और नगर परिषदों के आगामी सामान्य निर्वाचन के लिए मध्यप्रदेश नगरपालिका (महापौर व अध्यक्ष पद का आरक्षण) नियम 1999 के अंतर्गत अध्यक्ष पदों के संशोधित आरक्षण की कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश के 317 नगरीय निकायों में चुनाव होना हैं, जिनमें 16 नगर निगम भी शामिल हैं। महापौर पद के लिए आरक्षण नहीं होगा। प्रदेश में 16 नगर निगम, 99 नगर पालिका और 298 नगर परिषद हैं।
कुल 99 नगर पालिका में सबसे पहले आरक्षण की शुरुआत अजा वर्ग से हुई है। इसके लिए 15 पद आरक्षित किए गए हैं। इनमें से 8 पद महिलाओं के लिए आरक्षित हुए हैं। इनमें बड़ी नगर पालिका नागदा (उज्जैन) अजा महिला सीट हो गई है। बीना इटावा वापस महिला के लिए आरक्षित हुई है। यह पिछली बार भी महिला सीट थी। इसके अलावा मकरोनिया बुजुर्ग सागर, खुरई सागर (महिला), दमुआ (महिला), डबरा, गोहद (महिला), सारणी, आमला, चंदेरी, बीना इटावा (महिला), लहार (महिला), गोटेगांव (महिला), महाराजपुर, नागदा (महिला), भिंड (महिला) की सीटें अजा वर्ग के लिए आरक्षित हुई हैं।
नगर पालिका के आरक्षण की स्थिति
नर्मदापुरम (होशंगाबाद)-ओबीसी महिला, छतरपुर-ओबीसी महिला, शहडोल-ओबीसी, दमुआ-एससी महिला, डबरा-एससी, खुरई-एससी महिला, मकरोनिया बुजुर्ग-एससी, गोहद- एससी महिला, सारणी-एससी, आमला- एससी, चंदेरी- एससी, बीना इटावा- एससी, लहार-एससी, गोटेगांव-एससी महिला, महाराजपुर-एससी, नागदा- एससी महिला, भिंड-एससी महिला, मलाजखंड-एसटी, झाबुआ-एसटी, अलीराजपुर-एसटी महिला, पाली-एसटी, बड़वानी-एसटी महिला, बिजूरी-एसटी महिला, सबलगढ़-ओबीसी, धार-ओबीसी महिला, आष्टा-ओबीसी महिला, रायसेन-ओबीसी महिला, सिरोंज -ओबीसी, सनावद-ओबीसी महिला, नेपानगर-ओबीसी महिला, पनागर-ओबीसी, श्योपुरकलां-ओबीसी महिला, राघौगढ़-ओबीसी मनावर-ओबीसी, खाचरौद-ओबीसी, शुजालपुर-ओबीसी महिला, जावरा-ओबीसी महिला, मंदसौर-ओबीसी महिला, इटारसी-ओबीसी, हरदा- ओबीसी महिला, ब्यावरा- ओबीसी महिला, रहली-ओबीसी, दमोह-ओबीसी, मैहर- ओबीसी महिला, पांडुरना- ओबीसी, जुन्नारदेव जामई-ओबीसी, सिवनी- ओबीसी, मंडला- ओबीसी, हटा-एससी।
इसके अलावा बैतूल, विदिशा, राजगढ़, पिपरिया, गढ़ाकोटा, पन्ना, खरगोन, बालाघाट, नैनपुर, धनपुरी, महिदपुर, शिवपुरी, बैरसिया, मुलताई, देवरी, दतिया, गुना, बारासिवनी, चौरई, सौसर, अमरवाड़ा, करेली, नीमच, अंबा और मंडीदीप नगर पालिका की सीट अनारक्षित महिला के लिए आरक्षित की गई है।
जिला पंचायत अध्यक्ष के आरक्षण की प्रक्रिया संपन्न, ओबीसी वर्ग को बड़ा झटका
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की चुनाव की तैयारियां जोर-शोर से जारी हैं। इसके लिए मंगलवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण की प्रक्रिया संपन्न की गई। भोपाल में इस बार सिर्फ महिला ही जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ सकेगी। इंदौर, ग्वालियर में सीट एससी महिला के लिए आरक्षित हुई है, जबकि 26 जिले अनारक्षित किए गए हैं। इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला सीहोर भी शामिल है।
मध्यप्रदेश में 52 जिला पंचायतों के लिए मंगलवार को आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की गई। इसमें पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को बड़ा झटका लगा है। इस वर्ग को केवल सात फीसदी सीटों पर आरक्षण दिया गया है। वर्ष 2014-15 के चुनाव में ओबीसी के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद की 13 सीटें आरक्षित थीं, लेकिन इस बार हुए आरक्षण में ये घटकर चार रह गईं। यानी नौ सीटों का सीधे-सीधे नुकसान हुआ है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संचालक पंचायतराज आलोक कुमार सिंह ने पिछले चुनाव की आरक्षित सीटों को अलग निकालकर आरक्षण की प्रक्रिया पूरी कराई। मटके में लाट निकालकर आरक्षण किया गया। अनुसूचित क्षेत्र (शेड्यूल एरिया) की जिला पंचायत झाबुआ, आलीराजपुर, मंडला, डिंडोरी और बड़वानी में अध्यक्ष पद को पहले ही अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया था। इसके बाद अन्य जिलों में से लाट निकालकर सीटें आरक्षित की गईं। सभी वर्गों में महिलाओं के लिए पचास प्रतिशत पद आरक्षित किए गए हैं। इस दौरान कांग्रेस और भाजपा के पदाधिकारी मौजूद थे।
पंचायती राज संचालक आलोक कुमार सिंह ने बताया कि ओबीसी का आरक्षण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर किया गया है। आदेश में कहा गया है कि एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा न हो। इस हिसाब से ओबीसी के लिए 4 सीटें आरक्षित की गईं।
यह रही आरक्षण की स्थिति
– अनुसूचित जाति- ग्वालियर (महिला), खंडवा, छिंदवाड़ा, इंदौर (महिला), सिवनी, कटनी, रतलाम (महिला) और देवास (महिला)।
– अनुसूचित जनजाति- मंडला, डिंडोरी, आलीराजपुर (महिला), बड़वानी, झाबुआ (महिला), श्योपुर (महिला), नर्मदापुरम (महिला), सतना, सिंगरौली (महिला), हरदा, जबलपुर, बुरहानपुर, रीवा (महिला) और नरसिंहपुर (महिला)।
– अन्य पिछड़ा वर्ग- गुना, शाजापुर, दमोह (महिला), मंदसौर (महिला)।
– अनारक्षित- अनूपपुर (महिला), विदिशा (महिला), शिवपुरी, अशोकनगर, राजगढ़, मुरैना (महिला), खरगोन, पन्ना (महिला), उमरिया (महिला), धार, बैतूल, भोपाल (महिला), भिंड (महिला), शहडोल (महिला), सीधी (महिला), सीहोर, बालाघाट, निवाड़ी (महिला), रायसेन, नीमच, सागर, आगर मालवा, उज्जैन (महिला), टीकमगढ़ (महिला), छतरपुर (महिला) और दतिया।