राज्यसभा चुनाव बना कांग्रेस के लिए सिरदर्द, जाने कैसे आखिरी मिनट में मुश्किल हुई लड़ाई ?
नई दिल्ली । कांग्रेस (Congress) में राज्यसभा चुनाव (Rajya Sabha elections) का संकट थमता नहीं दिख रहा है और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा मनोनीत कुछ नामों को लेकर जो उत्साह है, वह पलभर में खत्म हो सकता है. हरियाणा और राजस्थान (Haryana and Rajasthan) में अब चुनाव के लिए कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. ऐसा लग रहा था कि अजय माकन के लिए हरियाणा सीट जीतना आसान होगा, लेकिन नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा के भाई और मीडिया कारोबारी कार्तिकेय शर्मा की एंट्री से हड़कंप मच गया है. कार्तिकेय शर्मा के मुकाबले में आने के साथ ही राज्यसभा की दो सीटों के लिए मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. राज्य विधानसभा में संख्या बल को देखते हुए भाजपा का एक सीट जीतना तय है.
हरियाणा में भाजपा के पास 40, जबकि कांग्रेस के पास 31 विधायक
अजय चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के 10 विधायकों के समर्थन और भाजपा के कुछ अतिरिक्त वोटों के कार्तिकेय के पास जाने की संभावना है. ऐसे में उन्हें कांग्रेस के सिर्फ तीन वोट जीतने की जरूरत है, जो कठिन नहीं हो सकता है. हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में, भाजपा के पास 40, जबकि कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं. भाजपा की सहयोगी जजपा के पास 10 विधायक हैं, जबकि इंडियन नेशनल लोक दल और हरियाणा लोकहित पार्टी के एक-एक और सात निर्दलीय विधायक हैं.
कांग्रेस विधायकों की बैठक में नहीं पहुंचे कुलदीप बिश्नोई
कांग्रेस की मुश्किल को इस बात से समझा जा सकता है कि पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई गई, लेकिन कुलदीप बिश्नोई नहीं आए. माना जा रहा है कि वह शीर्ष नेतृत्व से खफा हैं क्योंकि वे हुड्डाओं के प्रभाव में हैं. ऐसे में जो 2016 में हुआ था, वैसा फिर ना हो… इससे इंकार नहीं किया जा सकता. दरअसल, उस वक्त जब कांग्रेस के आरके आनंद को हराकर निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा ने जीत हासिल की थी. जिसका कारण खराब स्याही था, जो बाद में झूठा निकला.
राजस्थान में कुछ कांग्रेस विधायक नाराज
राजस्थान में भी स्थिति उतनी ही खराब होती दिख रही है. यहां कांग्रेस के उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला, प्रमोद तिवारी और मुकुल वासनिक हैं. हालांकि, मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने भी आखिरी दिन अपना नामांकन दाखिल किया. कुछ कांग्रेस विधायक इस बात से खुले तौर पर नाराज़ थे कि “बाहरी लोगों” को टिकट दिया गया और 1.5 साल से भी कम समय में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के साथ ही राज्य इकाई से किसी को भी राज्यसभा की सीट के लिए योग्य नहीं माना गया. ऐसे में क्रॉस वोटिंग की संभावना प्रबल हो जाती है और अगर यह हुआ, तो कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों में से कम-से-कम एक के लिए खतरा पैदा हो सकता है.
राज्यसभा चुनाव अब प्रतिष्ठा की लड़ाई
राज्यसभा चुनाव अब प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है और यह लोकसभा चुनाव जितनी ही भीषण है. वास्तव में, यह चुनाव एक पार्टी द्वारा दूसरे पर हावी होने का खेल है. कांग्रेस जैसी घटती ताकत वाली पार्टी के लिए यहां की हार भी काफी अपमानजनक होगी. इसका राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अपने राज्य में चुनाव जीतने की क्षमता की धारणा पर भी गहरा असर पड़ेगा. इतना ही नहीं, इससे सचिन पायलट जैसे उनके विरोधियों को अपने हमलों को तेज करने का मौका भी मिल जाएगा.
हरियाणा में इसलिए नाराज हैं कांग्रेस के नेता
हरियाणा में यह हुड्डा समूह की ताकत के लिए एक झटका हो सकता है और उनके खिलाफ और भी आवाजें मुखर हो सकती हैं क्योंकि कई लोग पार्टी आलाकमान द्वारा उन्हें दी गई शक्ति से परेशान हैं. अंत में, अगर चीजें काम नहीं करती हैं, तो कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को एक बार फिर हार का सामना करना पड़ेगा.