नई दिल्ली : यदि आप हाल ही में माता-पिता बने हैं, तो अब तक कई बार इंटरनेट पर बेबी के कम सोने से लेकर ज्यादा रोने की वजहों को खोज चुके होंगे। ज्यादातर पेरेंट्स के दिमाग में बार-बार आने वाला सवाल है कि मेरा बच्चा बहुत ज्यादा रोता है, यह रोना कब बंद करेगा? 1962 के बाद के तमाम अध्ययन बताते रहे हैं कि नवजात जन्म से छह हफ्ते तक बहुत ज्यादा रोते हैं।
12वें हफ्ते के बाद यह घटता जाता है और फिर स्थिर हो जाता है। हालांकि, डेनमार्क की आरहूस यूनिवर्सिटी की हालिया रिसर्च बताती है कि बच्चे 12 हफ्ते ही नहीं इसके बाद तक भी बहुत ज्यादा रोते हैं। यूनिवर्सिटी के कॉग्निटिव साइंस के इंस्ट्रक्टर अरनॉल्ट-क्वेंटिन कहते हैं, ह्ययदि नवजात एक दिन में तीन घंटे से ज्यादा और सप्ताह में कम से कम तीन दिन रोते हैं, तो इसे बहुत ज्यादा रोना माना जाता है। जन्म से छह हफ्तों में 17 से 25 प्रतिशत बच्चे इसी तरह रोते हैं।
यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 17 देशों के 37 अलग-अलग रिसर्च प्रोजेक्ट्स का अध्ययन किया। इसमें 1 हफ्ते से 52 हफ्ते उम्र वाले 7,580 नवजातों के रोने का पैटर्न देखा गया। अध्ययन में बच्चों के रोने का 12 महीने का पैटर्न देखा गया, जबकि पुराने अध्ययनों में 12 हफ्ते का ही पैटर्न देखा गया था। शोधकतार्ओं ने पाया कि किसी भी बच्चे में पांच हफ्ते के बाद ज्यादा रोने का ट्रेंड कम होते नहीं दिखा। बच्चों का अधिक रोना हफ्तों नहीं छह महीने तक जारी रह सकता है। अध्ययन में शामिल आधे बच्चे लड़के और बाकी लड़कियां थीं। ज्यादा रोने का पैटर्न दोनों में बराबर देखा गया। यूनिवर्सिटी की न्यूरोसाइंटिस्ट क्रिस्टिन पारसन कहती हैं, ह्यरोना छोटे बच्चों के विकास का एक जरूरी हिस्सा होता है। बच्चे इसका इस्तेमाल पेरेंट्स का ध्यान आकर्षित करने के लिए करते हैं। पेरेंट्स इस पर किस तरह से प्रतिक्रिया देते हैं, उसी से बच्चे का भावनात्मक विकास तय होता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि नवजातों के रोने की आदत देशों के हिसाब से भी अलग-अलग होती है। जैसे भारत, मैक्सिको और दक्षिण कोरिया के नवजात अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन और कनाडा के बच्चों के मुकाबले कम रोते हैं। अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि भारत में 1 से 38 हफ्तों के बच्चे औसत 13 से 27 मिनट रोते हैं। वहीं इटली में यह 148 मिनट और तुर्की में 190 मिनट तक है। अमेरिका में यह 89 से 113 और वङ में 50 से 121 मिनट तक है।