नई दिल्ली: नई दिल्ली की हौजखास थाना पुलिस ने बड़ी कामयाबी हासिल करने हुए किडनी रैकेट का खुलासा किया है। पुलिस ने ओटी टेक्नीशियन, दो डॉक्टर समेत 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ये सोशल मीडिया के माध्यम से अपने गोरखधंधे को चला रहे थे। किडनी डोनर्स के नाम से अलग-अलग पेज बनाए हुए थे। आरोपी गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनको चंद रुपये का लालच देकर उनकी किडनी निकाल कर बेच रहे थे। आरोपी अभी तक करीब 20 लोगों की किडनी निकाल चुके हैं।
दक्षिण जिला पुलिस उपायुक्त बेनीटा मेरी जैकर ने बताया कि हौजखास थाना को 26 मई को सूचना मिली थी कि हौजखास इलाके में किडनी रैकेट चल रहा है। ये गिरोह जरूरतमंद व गरीब लोगों को अपना निशाना बनाते हैं और चंद रुपये का लालच देकर उनकी किडनी बेच देते हैं। इसके बाद उसे जरूरत मंद को महंगों दामों पर बेच देते हैं।
सूचना के बाद हौजखास थानाध्यक्ष शिवानी सिंह की देखरेख में इंस्पेक्टर भरतलाल, इंस्पेक्टर रोहित व एसआई दीपक की विशेष टीम गठित की गई। पुलिस टीम को पता लगा कि गिरोह के सदस्य एक डोनर को मेडिकल जांच के लिए हौजखास में लैब में लेकर गए हैं। पुलिस ने लैब के पास पिंटू कुमार यादव मिला। उसे सरबजीत और विपिन पेट दर्द के बहाने लेकर आए थे। बाद में जब पिंटू को पता लगा कि उसे किडनी निकाली जाएगी तो वह मौके से चला गया। हौजखास थाना पुलिस ने मामला दर्जकर जांच शुरू की।
सरबजीत को हिरासत में लिया। इससे पूछताछ के बाद रघुशर्मा नाम का व्यक्ति मिला। रघु ने बताया कि गैंग ने उसकी किडनी निकालकर बेच दी है। रघु की मदद से पुलिस टीम ने पश्चिमी विहार के एक फ्लैट में पहुंची। पुलिस को वहां शैलेष पटेल समेत चार लोग मिले। शैलेष, दिवाकर, सरकार, अश्विनी पांडेय और रिजवान लोगों की किडनी निकालने की औपचारिकताएं पूरी कर रहे थे। यहां कागजात तैयार करने के अलावा मेडिकल जांच करवाए जा रहे थे।
जांच के बाद पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी सरबजीत जायसवाल(37), मुख्य आरोपी शैलेष पटेल(23), मो. लतिफ(24), बिकास उर्फ विकास(24), रणजीत गुप्ता(43), डॉक्टर सोनू रोहिल्ला (37), डॉक्टर सौरभ मित्तल (37), कुलदीप राय विश्वकर्मा उर्फ केडी (46) ओमप्रकाश शर्मा (48) और मनोज तिवारी(36) को गिरफ्तार कर लिया।
शैलेष पटेल करता था किडनी बेचने वालों की पहचान
पुलिस की पूछताछ में खुलासा हुआ है कि शैलेष पटेल गरीब व आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की पहचान कर उनकी किडनी बेचने के लिए प्रेरित करता था। इसके बाद ये बिकास और विपिन उर्फ अभिषेक के पास लेकर जाता था। पुलिस की पूछताछ में सरबजीत और शैलेष ने बताया कि वह पैसों का लालच देकर गरीब लोगों को अपने जाल में फांसते थे। इसके बदले बिकास उर्फ विकास और एक डॉक्टर 30 से 40 हजार रुपये देते थे। बाद में इन लोगों को किडनी निकाल कर अमीर लोगों को बेच देते थे। किडनी निकालने के बाद विपिन और अभिषेक लोगों से मिलकर पेमेंट कर दिया करते थे।
गोहाना में चल रहा था किडनी ट्रांसप्लांट का अस्पताल
पुलिस की पूछताछ के बाद मो. लतिफ नामक एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया। आरोपी हौजखास की एक लैब पर फील्ड ब्वॉय का काम करता था। जिन लोगों को गैंग किडनी निकालने लिए लाता था उनका महत्वपूर्ण डीटीपीए टेस्ट अवैध रूप से लतिफ सी करवाता था। लतिफ की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने बिकास उर्फ विकास और रणजीत गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। बिकास पश्चिमी विहार में किडनी देने वाले लोगों के रहने का इंतजाम करता था।
इसके बाद रणजीत इन लोगों को सोनीपत के गोहाना में बने अस्पताल में अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के लिए भेज दिया करते थे। वहां डॉक्टर सोनू रोहिल्ला अपने दूसरे साथी डाक्टर सौरभ मित्तल व अन्य की मदद से किडनी ट्रांसप्लॉट की वारदात को अंजाम देते थे। पुलिस ने अस्पताल से ही कुलदीप राय विश्वकर्मा उर्फ केडी, ओमप्रकाश शर्मा और मनोज तिवारी को गिरफ्तार किया है। ये सभी लोग ओटी टेक्नीशियन काम करते थे।
कुलदीप राय विश्वकर्मा गिरोह का मास्टरमाइंड है
पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने खुलासा किया है कि किडनी रैकेट मामले का मास्टरमाइंड कुलदीप राय विश्वकर्मा है। वह व उसके कई साथी दिल्ली के नामी अस्पताल में नौकरी करते हैं। कुलदीप ने ही किडनी निकालने के लिए पूरा सैटअप तैयार करवाया। इसके कहने पर ही गोहाना में सोनू रोहिल्ला के अस्पताल का चयन किया गया। कुलदीप ही इस पूरे रैकेट के हर सदस्य उसके काम के अनुसार पैसा दे रहा था। आरोपी ने खुलासा किया है कि पिछले छह सात महीनों में ये लोग 20 लोगों की किडनी निकाल चुके हैं। ज्यादातर ये लोग 20 से 30 वर्ष के युवाओं की किडनी ही निकालते थे।