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सहारनपुर में पिता की थी राशन की दुकान, देखते ही देखते बन गए दक्षिण अफ्रीका के सातवें सबसे अमीर

नई दिल्ली : एक समय ऐसा था कि पूरे दक्षिण अफ्रीका की सियासत तीनों भाइयों के ईद-गिर्द घूमती थी। उनके प्रभाव ने दक्षिण अफ्रीका की राजनीति में भूचाल ला दिया था, जिससे राष्ट्रपति जैकब जुमा को भी अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। आरोप है कि जैकब जुमा के जरिए उन्होंने सोने की खदानों समेत तमाम सरकारी ठेके प्राप्त किए। वह सरकार के काम में भी दखल देने लगे।

अजय गुप्ता, अतुल गुप्ता और राजेश गुप्ता के पिता शिवकुमार गुप्ता की सहारनपुर में एक छोटी सी राशन की दुकान थी। अजय ने सीए का कोर्स किया, अतुल ने बीएससी की और कंप्युटर हार्डवेयर और असेंबलिंग का कोर्स किया। छोटे भाई राजेश ने बीएससी की। साल 1985 में सहारनपुर से दिल्ली चले गए और वहां कुछ दिनों एक बड़े होटल में नौकरी की। इसके बाद नौकरी छोड़ दी और वर्ष 1993 में साउथ अफ्रीका चले गए। यहां तीनों भाइयों ने कंप्यूटर से जुड़ा बिजनेस शुरू किया और दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में कंप्यूटर और उसके पार्ट्स बनाने की कंपनी शुरू की। इसी दौरान अजय के दक्षिण अफ्रीका के तत्कालीन राष्ट्रपति जैकब जुमा से पारिवारिक संबंध हो गए।

अजय उस वक्त विवादों में आए जब उन पर दक्षिण अफ्रीका के वित्त मंत्री को हटाने का आरोप लगा। आरोप था कि उनके कहने पर ही दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा ने वित्त मंत्री को पद से हटाया था। इससे पहले वर्ष 2010 में एक सांसद को मंत्री बनवाने का आश्वासन दिए जाने का आरोप भी उन पर लगा था। राष्ट्रपति जुमा के परिवार के कई सदस्य अजय गुप्ता की कंपनियों में डायरेक्टर थे। दक्षिण अफ्रीका में अजय गुप्ता का कंप्यूटर के अलावा खनन और मीडिया जैसे दूसरे क्षेत्रों में भी दखल है। भ्रष्टाचार के कारण ही राष्ट्रपति जैकब जुमा को भी अपने पद से हाथ धोना पड़ा था।

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