भारत ने अंतत: उड़ाया स्वदेशी लड़ाकू विमान
बेंगलुरू (एजेंसी)। देश में स्वदेशी तकनीक से निर्मित हल्का लड़ाकू विमान तेजस (इस श्रेणी का सबसे हल्का) को शुक्रवार को प्रारंभिक संचालन मंजूरी मिल गई। इसके साथ ही विमान के भारतीय वायुसेना में शामिल होने का रास्ता साफ हो गया। इस विमान के निर्माण की कल्पना 3० वर्ष पहले की गई थी। तेजस 1 35० किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ान भर सकता है और इसकी तुलना दुनिया के कुछ सर्वाधिक बेहतरीन लड़ाकू विमानों -मिराज 2००० एफ-16 और ग्रिपेन- से की जा सकती है। आरंभ में इसकी अनुमानित कीमत 2०० करोड़ रुपये प्रति विमान है और उत्पादन बढ़ने के साथ ही इसकी कीमतों में भी कमी आने की संभावना है। तेजस को शुक्रवार को हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) परिसर में आयोजित एक समारोह में प्रारंभिक संचालन मंजूरी (आईओसी-2) प्रदान की गई। रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने भारतीय वायुसेना प्रमुख एन.ए.के.ब्राउन को ‘रिलीज टू सर्विस डॉक्यूमेंट’ (आरटीएस) सौंपे। इस प्रमाणीकरण से तेजस के भारतीय वायुसेना में शामिल होने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इस मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए एंटनी ने कहा कि यह पूरे देश के लिए एक महान दिन है। एंटनी ने स्वीकार किया कि इस परियोजना के दौरान निराशा का चरण भी आया और इसे धक्का भी लगा। इस खर्चीली परियोजना को जारी रखने के बारे में सवाल भी उठाए गए। एयर चीफ मार्शल ब्राउन ने इस मौके पर कहा कि यह दिन एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है और भारत ने उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में प्रवेश कर लिया है जिनके पास अत्याधुनिक लड़ाकू विमान के डिजाइन और निर्माण की तकनीक है। इस विमान को अभी तेजस मार्क1 नाम दिया गया है और वर्ष 2०14 के अंत में अंतिम संचालन मंजूरी मिलने के बाद इसे तेजस मार्क2 के नाम से जाना जाएगा। अंतिम मंजूरी से पहले चौथी पीढ़ी के इस लड़ाकू विमान को हवा में ईंधन भरने की क्षमता एक अधिक क्षमता वाले इंजन और नई मिसाइलों से लैस किया जाएगा। भारतीय वायुसेना के पास तेजस मार्क1 के दो स्क्वाड्रन और तेजस मार्क2 के चार स्क्वाड्रन होंगे। इस श्रेणी के विमान वायुसेना के मिग लड़ाकू विमानों के स्थान पर तैनात होंगे।