भारत ने रूस के सामने रुपये में व्यापार करने का रखा प्रस्ताव
नई दिल्ली : यूक्रेन पर हमले को लेकर कई देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं लेकिन भारत, रूस के साथ व्यापार का और विस्तार करने की योजना बना रहा है. भारत ने रूस के सामने रुपये में व्यापार करने का प्रस्ताव रखा है.
इस मामले से वाकिफ एक शख्स ने ब्लूमबर्ग को बताया कि भारत ने रूस से रुपये में तेल और हथियारों की खरीद की बात रखी है. भारत की रूस के सरकारी नियंत्रण वाले वीटीबी बैंक पीजेएससी और सबरबैंक पीजेएससी में जमा लगभग दो अरब डॉलर के इस्तेमाल की योजना है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, शख्स ने बताया कि इस योजना को जल्द ही अंतिम रूप दिया जा सकता है. रूस के वरिष्ठ अधिकारी इस हफ्ते भारत आ रहे हैं. उम्मीद है कि इस दौरान योजना को हरी झंडी दिखा दी जाए. इससे पहले दोनों देशों ने रुपये-रूबल के तहत व्यापार करना शुरू किया था, जो रूस की मुद्रा रूबल में अत्यधिक अस्थिरता की वजह से कारगर साबित नहीं हो पाया.
रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के बैंक खातों में जमा धनराशि साल के अंत तक बढ़कर पांच अरब डॉलर हो सकती है. यह बशर्ते इस पर निर्भर करता है कि भारत कितना उत्पाद खरीद रहा है.
यूक्रेन युद्ध की वजह से अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे, जिससे रूस का तेल सस्ता हो गया था. इसी सस्ते तेल का लाभ उठाने के लिए मोदी सरकार ने तेल के आयात पर लगी पाबंदी हटा दी है. इस दिशा में मोदी सरकार एक मैकेनिज्म को अंतिम रूप देना चाहती है.
भारत, रूस को 6.61 अरब डॉलर का व्यापार घाटा रूस के सस्ते तेल से भारत को मदद मिल सकती है. मार्च 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष में भारत का रूस के साथ व्यापार घाटा 6.61 अरब डॉलर का रहा. दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 13.1 अरब डॉलर का है.
भारत अपना बहीखाता ठीक करने के लिए फार्मास्युटिकल्स, प्लास्टिक और केमिकल जैसे उत्पादों के निर्यात पर जोर दे रहा है. भारत, रूस के हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा खरीदार है. इसी वजह से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया लगातार भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह रूस का तेल नहीं खरीदे.
ऐतिहासिक रूप से भारत ने विश्व के शक्तिशाली देशों के बीच किसी भी तरह के तनाव को लेकर हमेशा निष्पक्ष रुख रखने का ही प्रयास किया है. वहीं, भारत हाल ही में ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ मिलकर क्वाड जैसे संगठन में शामिल हुआ है. भारत एकमात्र एशियाई देश नहीं है जो रूस का तेल खरीद रहा है. चीन रूस का तेल खरीदने वाला सबसे बड़ा खरीदार है.