रायपुर ; रायपुर जिले के अनेक गौठानों में स्वसहायता समूह सदस्यों को मुगीर्पालन के माध्यम से लगभग 2.5 से 3 लाख की आमदनी हो चुकी है। मुर्गी पालन की निरंतरता के लिये अंडे से चूजा उत्पादन की कार्ययोजना पर बल दिया जा रहा है। इसी छत्तीसगढ़ राज्य में बकरीपालन की व्यापक संभावनाएं हैं और काफी मांग है। इस मांग और संभावनाओं को देखते हुए अनेक गौठानों में बकरी पालन के माध्यम से लगभग 6 से 7 लाख की आमदनी हो चुकी है।
संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा विभाग, रायपुर डॉ. शंकरलाल उइके ने बताया कि जिले के 19 पशु चिकित्सालय, 3 कृत्रिम गभार्धान केंद्र, 35 पशु औषधालय, 35 कृत्रिम गभार्धान उपकेंद्र की साफ-सफाई एवं रखरखाव तथा राज्य शासन के पशु चिकित्सा विभाग के 22 बिंदुओं के निर्देश के परिपालन का कार्य किया जा रहा है। यहां विभागीय गतिविधियों जैसे पशु उपचार, बधियाकरण, टीकाकरण, नि:शुल्क पशु चिकित्सा शिविर के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा पशुपालकों को लाभ दिलाने का प्रयास है। कोई भी पशुपालक वर्तमान इन चिकित्सालयों एवं केन्द्रों का सुबह 7 से 11 बजे एवं शाम को 5 से 6 बजे तक लाभ ले सकता है।
उन्होंने बताया कि जिले में अधिकारी एवं कर्मचारियों के व्यापक प्रयासों से विभागीय योजनाओं के लक्ष्यों में संतोषजनक प्राप्ति की गई है। योजना के अनुशीलन पंजी संधारण से अनुशीलन, अनुश्रवण एवं क्रियान्वयन मे आशातीत सफलता प्राप्त हुई है। यही कारण है कि वर्ष 2021-22 के तुलना में वर्ष 2022-23 की अवधि में पशु उपचार में 103 प्रतिशत, औषधि वितरण में 242 प्रतिशत, टीकाकरण में 25 गुना, कृत्रिम गभार्धान में 229 प्रतिशत्, बधियाकरण में 600 प्रतिशत, शल्य क्रिया में 511 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
उन्होंने बताया कि संस्थाओं की साफ-सफाई, रखरखाव, अनुपयोगी सामग्रीयों के अपलेखन हेतु लगातार कार्य किया गया है। इसी कड़ी में संयुक्त संचालक मंडी गेट पंडरी में वर्षों से क्षतिग्रस्त बाउंड्रीवाल का निर्माण किया गया है। इससे शासकीय भूमि पर हो रहे अतिक्रमण को रोका जाना संभव हुआ है।