मध्य प्रदेशराज्य

मानव अधिकार आयोग ने आईजी सागर से तीन सप्ताह में माँगा जवाब

भोपाल : मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के माननीय अध्यक्ष नरेन्द्र कुमार जैन ने मानव अधिकार हनन से जुड़े दो मामलों में संज्ञान लेकर संबंधितों से जवाब मांगा है। पुलिस अभिरक्षा में घायल युवक की मौत, टीआई लाइन अटैच आयोग ने आईजी सागर से तीन सप्ताह में जवाब मांगकर पूछा – गब्बर को इतनी बेरहमी से क्यूं पीटा गया।

सागर जिले के छानबीला में पुलिस अभिरक्षा में गब्बर उर्फ ग्याप्रसाद यादव नाम के युवक की मौत का मामला सामने आया है। चार रोज पहले शादी समारोह में हुए झगड़े में घायल गब्बर को पुलिस थाने ले गई। पुलिस से अपशब्द कहने पर गब्बर की बेरहमी से पिटाई की गई। हालत गंभीर होने पर उसे भोपाल रैफर कर दिया गया। जहां चार दिन तक भर्ती रहे गब्बर की बीते रविवार की देर रात मौत हो गई। इस मामले में एसपी सागर ने थाना प्रभारी को लाइन अटैच कर दिया है। मृतक के परिवार का आरोप है कि पुलिस ने बड़े अमानवीय तरीके से थाने में गब्बर से मारपीट की थी। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने आईजी, सागर पुलिस रेंज से तीन सप्ताह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है।

नाबालिग को थाने में पीटा, मां ने की आईजी से शिकायत

वही एक दूसरे मामलें में नर्मदापुरम निवासी एक 17 साल के नाबालिग को देहात थाने में बेरहमी से पीटने की लिखित शिकायत उसकी मां ने आईजी, नर्मदापुरम पुलिस रेंज और एसपी नर्मदापुरम से की है। नाबालिग की मां ने आईजी और एसपी को बताया कि चार घंटे तक थाने में बिठाकर, उनके किशोर बेटे की बेरहमी से पिटाई की गई, जिससे वह सदमें में आ गया है। बीते शनिवार की शाम जिला प्रशासन की टीम मालाखेड़ी में अतिक्रमण तोड़ने की कार्यवाही कर रही थी। इस बीच टीम विद्या वर्मा के घर के सामने लगे टीन शेड को तोड़ने पहुंची। उस समय परिवार घर पर नहीं था। कक्षा 12वीं में पढ़ने वाला 17 वर्षीय बेटा घर में था। आवेदन में पीड़ित किशोर की मां ने कहा कि यह निजी जमीन थी, कोई कब्जा नहीं था, लेकिन प्रशासन ने अतिक्रमण तोड़ना शुरू कर दिया। बेटे ने टीन शेड खोलने की बात कही, तो पुलिस उसे पकड़कर थाने ले आई और एक एसआई ने बेटे के साथ बड़ी बेरहमी से मारपीट की। मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एसपी नर्मदापुरम से जवाब-तलब कर तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा संज्ञान लेने पर रीता को मिले 4.50 लाख रू.

यही तीसरे मामलें में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग द्वारा संज्ञान लेने पर आवेदिका रीता रामेश्वर डाबी को 4 लाख 50 हजार रूपये मिल गये हैं। जिला शिक्षा अधिकारी, उज्जैन ने आयोग को इस आशय का प्रतिवेदन दे दिया है। मामला कुछ यूं है कि रामेश्वर डाबी वर्ष 2021 में उज्जैन जिले के घट्टिया ब्लाॅक के एक प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। इनके तीन बच्चे पढ रहे थे। परिवार में मां तीन बच्चों और सास के साथ उज्जैन की घट्टिया तहसील के ग्राम डाबरी में रहते थे। रामेश्वर कोरोना पाॅजिटिव थे, लेकिन उनके मृत्यु प्रमाण पत्र में लिखा है कि इनकी मृत्यु हाॅर्ट अटैक से हुई है। इस वजह से अस्पताल वालों की ओर से इनके परिवार के साथ अन्याय किया गया। परिवार में किसी को भी अनुकम्पा नियुक्ति नहीं मिल पाई। परिवार पर भारी आर्थिक बोझ आ पडा था। एक खबर में संज्ञान लेकर आयोग ने मामला दर्ज कर लिया और प्रकरण क्र. 3349/उज्जैन/2021 में कमिश्नर, उज्जैन से त्वरित प्रतिवेदन मांगा था। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी, उज्जैन ने प्रतिवेदन में बताया है कि स्व रामेश्वर डाबी (प्राथमिक शिक्षक) शाप्राशा मेलानिया, संकुल केन्द्र शाउमाशा खेडाखजुरिया, तहसील महिदपुर में पदस्थ थे। स्व डाबी की धर्मपत्नी रीता डाबी ने 04 अगस्त 2021 को अनुकंपा नियुक्ति हेतु आवेदन दिया था। श्रीमती रीता ने एक वर्ष में आंठवी कक्षा उत्तीर्ण करने की अनुमति लेने हेतु 24 अगस्त 2021 को आवेदन दिया था। अतः भविष्य में तय शैक्षणिक योग्यता प्राप्त हो जाने पर उनकी अनुकम्पा नियुक्ति पर पुनः विचार किया जायेगा। जिला शिक्षा अधिकारी ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुग्रह अनुदान योजना के तहत स्व. रामेश्वर डाबी की धर्मपत्नी रीता डाबी का आवेदन मिला था। मामले में त्वरित कार्यवाही कर आवेदिका को मुख्यमंत्री कोविड-19 अनुग्रह अनुदान राशि के रूप में 4 लाख 50 हजार रूपये का भुगतान कर दिया गया है। चूंकि आवेदिका के मामले का अंतिम निदान हो गया है, अतः यह प्रकरण आयोग में समाप्त कर दिया गया है।

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