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मध्य प्रदेश क्रिकेट के इतिहास में आज सबसे बड़ा दिन, खत्म हो जाएगा 72 साल का सूखा

नई दिल्ली : मध्य प्रदेश की टीम 1950 से रणजी ट्रॉफी खेल रही है, लेकिन अभी तक टीम इस खिताब को जीत नहीं पाई है। 1998-99 के सीजन में मध्य प्रदेश की टीम चैंपियन बनने के करीब थी, लेकिन पहली पारी में बढ़त लेने के बावजूद दूसरी पारी में ढेर हो गई और मुकाबला हारकर उपविजेता रही थी। इसके बाद से और न इससे पहले कभी टीम ने फाइनल खेला था, लेकिन 72 साल के बाद मध्य प्रदेश की टीम के रणजी ट्रॉफी चैंपियन बनने का मौका है।

रणजी ट्रॉफी के 2021-22 का फाइनल मुकाबला बेंगलुरु के एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेला जा रहा है। रविवार यानी 26 जून को मुकाबले का आखिरी दिन है और ये दिन मध्य प्रदेश क्रिकेट के इतिहास का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक दिन हो सकता है। मध्य प्रदेश की टीम पहली बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बन सकती है। इस मुकाबला का नतीजा निकलने के चांस बहुत कम हैं, लेकिन फिर भी मध्य प्रदेश की टीम चैंपियन होगी।

दरअसल, रणजी ट्रॉफी का नियम ऐसा है कि अगर मैच ड्रॉ होता है तो जो टीम पहली पारी में बढ़त बना लेती है, उसे लीग मैच में एक अंक ज्यादा मिलता है, जबकि प्लेऑफ में पहली पारी में बढ़त बनाने वाली टीम को आगे जाने का मौका मिलता है। वहीं, अगर फाइनल मैच ड्रॉ होता है तो पहली पारी के आधार पर जो टीम बढ़त बना लेती है, उस टीम को विजेता घोषित कर दिया जाता है। ऐसा ही मध्य प्रदेश के साथ होगा।

मौजूदा समय की बात करें तो मध्य प्रदेश की टीम पहली पारी के आधार पर 162 रन की बढ़त हासिल किए हुए थे। वहीं, चार दिन के खेल समाप्त होने के बाद मुंबई ने पहली पारी में 374 पर ऑल आउट होने के बाद दूसरी पारी में 22 ओवर में 2 विकेट खोकर 113 रन बना लिए हैं। मुंबई अभी भी 49 रन से पिछड़ी हुई है। मुंबई ये मुकाबला तभी जीत सकती है, जब तेजी से रन बनाकर मध्य प्रदेश के सामने टारगेट रखे और एमपी की टीम को ऑल आउट कर दे।

आखिरी दिन कुल 90 ओवरों का खेल होगा और इसमें मुंबई के लिए पहले 49 रनों की बढ़त को खत्म करना और फिर मध्य प्रदेश के सामने टारगेट रखना और फिर एमपी टीम को जल्दी आउट करना संभव नहीं लगता। ऐसे में एक बात शीशे की तरह साफ नजर आ रही है कि मध्य प्रदेश की टीम मुकाबला ड्रॉ कराते ही रणजी ट्रॉफी 2022 की चैंपियन बन जाएगी और मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार टीम इस खिताब को अपने नाम करेगी।

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