चीनी कोविड वैक्सीन के बेअसर होने से बढ़ी टेंशन, दोबारा संक्रमित हो रहे लोग
बीजिंग : चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों से हाहाकार मचा हुआ है। हालात ऐसे बन गए हैं कि सही सूचना को दबाने के लिए चीनी प्रशासन कई इलाकों में इंटरनेट तक को ठप कर रहा है। बीजिंग, शंघाई समेत देश के बड़े-बड़े शहरों में कंटेनमेंट जोन बनाकर संक्रमितों की संपर्क में आए लोगों को जबरन रखा जा रहा है। दरअसल, चीन का यह हाल कोरोना वैक्सीन के बेअसर होने के कारण हुआ है। चीनी वैक्सीन की डबल-ट्रिपल डोज ले चुके लोग भी तेजी से संक्रमित हो रहे हैं। दोबारा संक्रमित होने के का खतरा सिर्फ चीन में नहीं, बल्कि चीनी कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल करने वाले दुनिया के 50 से ज्यादा देशों को है।
एशियन लाइट इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, चीनी कोविड वैक्सीन के बेअसर होने के बाद असहाय बीजिंग अब कोविड विस्फोट की चेतावनी दे रहा है। चीन ने अपनी पूरी आबादी को भारत से बहुत पहले ही पहली और दूसरी डोज दे दी थी। इसके बावजूद वैक्सीन की कम असर के कारण लोगों में कोविड के खिलाफ पर्याप्त प्रतिरोध पैदा नहीं हो सका है। कई देशों से मिले डेटा से पता चला है कि चीनी वैक्सीन कोरोना संक्रमण को रोकने में प्रभावी साबित नहीं हो रही है। विशेष रूप से कोरोना के नया वैरियंट के ऊपर इस वैक्सीन का असर बिलकुल नहीं दिखाई दे रहा है।
चीन के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने खुद ही स्वीकार किया है कि उनकी कोरोना वैक्सीन की प्रभावशीलता काफी कम है। चीनी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के डॉयरेक्टर गाओ फू ने कहा था कि मौजूदा वैक्सीन की प्रभावशीलता की दर काफी कम है। इसे बढ़ाने के लिए चीनी वैक्सीन निर्माता कंपनियों के साथ बातचीत की जा रही है। हालांकि, उसके बाद भी चीन में बनी कोविड वैक्सीन के असर में कई बढ़ोत्तरी नहीं देखी गई।
चिली में चीन की कोरोनावैक वैक्सीन का उपयोग किया जा रहा है। इसे चीन की दिग्गज फार्मा कंपनी सिनोवेक ने बनाया है। चिली विश्वविद्यालय की स्टडी में पता चला था कि चीनी वैक्सीन की पहली डोज की प्रभावशीलता केवल 3 फीसदी ही है। दूसरे डोज के बाद इसकी प्रभावशीलता करीब 56 फीसदी तक बढ़ जाती है। ब्राजील में एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि चीनी वैक्सीन की प्रभावशीलता केवल 50 फीसदी ही है।
दुनियाभर में कम से कम 118 देशों में चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन लगाई जा रही है। इनमें दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देश शामिल हैं। दरअसल चीनी कोरोना वैक्सीन सस्ते और स्टोर करने में आसान हैं। ये उन गरीब देशों के लिए आदर्श वैक्सीन है, जिनके पास माइनस 20 डिग्री से ज्यादा के तापमान पर वैक्सीन स्टोर करने की सुविधा नहीं है।