अद्धयात्म
इस संकल्प के साथ करें नए साल की शुरुआत
एक बार एक संत अपने आश्रम के नजदीक एक बगीचे में पहुंचे तो देखते है कि सारे पेड़-पौधे मुरझाए हुए हैं। यह देखकर संत चिंतित हो गए और एक-एक कर उन सबसे उनकी हालत की वजह को जानना चाहा। ओक के वृक्ष ने कहा मैं मर रहा हूं क्योंकि मुझे ईश्वर ने देवदार के जितना लम्बा नहीं बनाया।
संत ने देवदार की और देखा तो उसके भी कंधे झुके हुए थे वह इसलिए मुरझा गया था क्योंकि वो अंगूर की तरह फल नहीं पैदा कर सकता था। वहीं अंगूर की बेल इसलिए मरी जा रही थी क्योंकि वह गुलाब की तरह सुगंधित फूल नहीं दे रही थी।
संत थोड़ा आगे बढ़े तो उन्हें एक ऐसा पेड़ नजर आया जो भरपूर खिला और ताजगी से भरा हुआ था। संत ने उससे पूछा बड़े कमाल की बात है, मैं पूरे बगीचे में घूमा हूं तुम केवल एकमात्र संतुष्ट और शांत मिले जबकि बाकी अन्य कई मायने में तुमसे अधिक मजबूत हैं और बड़ेे पेड़-पौधे हैं।
वह पौधा बोला कि ये सब अपनी खूबियां नहीं पहचानते। ये नहीं जानते कि वे भी अपने आप में बहुत विशेष हैं। ये केवल दूसरों की विशेषताओं पर अधिक ध्यान देते हैं इसलिए दुखी हैं जबकि मैं जानता हूं कि मेरे मालिक ने मुझे लगाया है तो उसके पीछे कुछ न कुछ उसका उद्देश्य होगा।
वो चाहता होगा कि मैं इस बगीचे की समृद्धि का हिस्सा बनूं। इसलिए मैं खुश हूं क्योंकि मैं जानता हूं मेरा यहां होना औचित्यहीन नहीं है। इसलिए मैं किसी और की तरह बनने की अपेक्षा खुद की क्षमताओं पर अधिक भरोसा करता हूं यही मेरी प्रसन्नता का राज है।