व्हाट्सऐप, फेसबुक नहीं यहां प्रत्याशियों को है ‘गणकों’ का सहारा
पौराणिक लोक मान्यताओं के अनुसार गांव के एक किसी भी व्यक्ति पर भगवान अवतारित होते हैं। इसे गांवों में गणक के नाम से जाना जाता है। ग्रामीण दुख परेशानी, मन्नत पूरी न होने एवं संकट के समय लाल-पीली सिंदूर एवं चावल लेकर दक्षिणा के साथ ‘गणक’ के पास पहुंचते हैं। लोग परेशानी का बखान करता है। फिर उसका उपाय भी सुझाता है।
पंचायती चुनावी मौसम में कई प्रत्याशी अपने आसपास के गणक के पास अपने हार-जीत के परिणाम को लेकर पहुंच रहे हैं। गणक से जीत की दुआएं मांग रहे हैं। गणक की ओर से मंत्रे गए चावल जेब में डालकर वह घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं। समूचे गिरीपार की 124 पंचायतों में भगवान शिरगुल, हनोल का महासू देवता, हरिपुरधार की मां भंगायणी एवं माता कुंजीयाट के दरबारों में भी प्रत्याशी हाजरी भरकर अपने चुनाव प्रचार के लिए निकल रहे हैं। कई प्रत्याशियों ने अपने इन आराध्य देवों एवं कुल इष्टों से जीत के लिए बकरे की मन्नत मांग रखी है।
इन पंचायतों में है आराध्य देव पर अटूट आस्था
रेणुका क्षेत्र की सांगना, सताहन, गेहल, बढ़ोल, टिक्करी, नौहराधार, देवामानल, भराड़ी, चौरास, चौकर, शामरा, लाना चेता, सेर तंदूला, गवाही, कोटली मानल, भवाई, शिलाई क्षेत्र की बाली कोटी, गवाली, पश्मी, द्राबिल, शिल्ला, टटियाणा, भटयूड़ी, शमांह, कांडो भटनोल, बडयार, सरोग, बेला वंश्वा, शिलाई आदि पंचायतों में गणकों पर विश्वास जताया जाता है।
बिजट देवता का है बोलबाला
रेणुका विधानसभा क्षेत्र के कुल इष्ट बिजट महाराज के आदेश पर ही चाढना, देवना, बांदल पंचायातों के लोग अपने शुभ कार्य शुरू करते हैं। बिजट महाराज से ही मन्नत मांगी जाती है।