व्यापमं घोटालाः इंदौर की अदालत ने सुनाया पहला फैसला, स्कोरर समेत दो को सजा
इंदौर. मध्य प्रदेश इंदौर की जिला अदालत में व्यापमं घोटाले से जुड़े एक मामले में दो छात्रों को दोषी करार देते हुए तीन-तीन साल की सजा सुनाई. इस घोटाले को लेकर इंदौर में दर्ज मामलों में यह पहला फैसला है.
विशेष न्यायधीश ( व्यापमं) डी.के. मित्तल ने भीलवाड़ा के अक्षत सिंह उर्फ झम्मन सिंह और झाबुआ के प्रकाश बारिया को वेटरनरी कॉलेज में एडमिशन मामले को लेकर हुए फर्जीवाड़े में यह सजा सुनाई. आरोपी अक्षत ने पैसे लेकर (स्कोरर) छात्र प्रकाश की जगह परीक्षा दी थी
विशेष अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 420 व 468 के तहत तीन-तीन साल, जबकि धारा 419 और परीक्षा अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दो-दो साल की सजा सुनाई गई. इसके अलावा अदालत ने दोनों पर ढाई-ढाई हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है.
सीबीआई नहीं कर रही थी जांच
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर व्यापमं मामले की जांच सीबीआई को सौपी गई है. हालांकि, इस मामले की जांच सीबीआई के पास नहीं थी. व्यापमं मामलों की सुनवाई के लिए इंदौर और भोपाल में एक विशेष अदालत का गठन किया गया था. इंदौर पुलिस ने ही विशेष अदालत में चालान पेश किया था.
आरोपियों को मिल गई जमानत
अदालत ने सभी सजाएं एक साथ चलने का आदेश दिया था. तीन साल या उससे कम सजा में आरोपियों को जमानत का प्रावधान रहता था. इस आधार पर आरोपियों के आवेदन पर अदालत ने दोनों आरोपियों को हाईकोर्ट में अपील के लिए 60 दिन का वक्त देते हुए जमानत दे दी.
क्या है पूरा मामला
19 मार्च 2013 को पशुपालन प्रवेश परीक्षा में इंदौर के नूतन स्कूल में अक्षत को प्रकाश बारिया की जगह परीक्षा देते हुए पकड़ा गया था. प्रवेश पत्र पर फोटो का मिलान नहीं होने से अक्षत और प्रकाश का यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था.
गिरफ्तार होने के बाद अक्षत ने बताया था कि वह पैसे लेकर प्रकाश की जगह परीक्षा देने के लिए बैठा था. पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था. अदालत ने दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. बाद में दोनों जमानत पर जेल से बाहर आए थे.