कोलकाता : एक डॉक्युमेंट्री के पोस्टर में मां काली की बेहद आपत्तिजनक तस्वीर इन दिनों सुर्खियों में है। हिंदुओं का बड़ा वर्ग इस पर यह कहते हुए नाराजगी जाहिर कर रहा है कि सिनेमा वालों ने ‘हिंदू आस्था से खिलवाड़’ को फिल्म प्रचार का हथकंडा बना लिया है। हालांकि, कथित उदारवादी तबका इस पोस्टर को कला का प्रदर्शन बता रहा है। इसी क्रम में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने एक टीवी प्रोग्राम में मां काली को लेकर अपनी अवधारणा का जिक्र किया जिसके बाद उनकी आलोचना होने लगी।
तृणमूल कांग्रेस की पश्चिम बंगाल में सरकार है, जहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं। पश्चिम बंगाल वह प्रदेश है जहां मां काली की सबसे ज्यादा पूजा होती है। यही वजह है कि टीएमसी ने महुआ मोइत्रा के बयान से तुरंत किनारा कर लिया। पार्टी ने कहा कि मां काली को लेकर महुआ का बयान उनका व्यक्तिगत विचार है, पार्टी उनके विचार से सहमत नहीं है। टीएमसी के इस स्टैंड से महुआ चिढ़ गईं और उन्होंने पार्टी का ट्विटर हैंडल अनफॉलो कर दिया। ऐसा पहली बार हुआ कि टीएमसी ने अपनी फायर ब्रैंड नेता के बयान से पल्ला झाड़ा हो। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर टीएमसी की क्या मजबूरी है कि वह अपने सबसे मुखर नेताओं में एक के साथ खड़ी नहीं हो पाई?
पश्चिम बंगाल के हिंदुओं में सबसे ज्यादा आस्था मां काली और मां दुर्गा के प्रति ही है। वहां का कालीघाट मंदिर देशभर के 51 शक्तिपीठों में शामिल है। यहां काले पत्थर की मूर्ति है। वहीं, हुगली नदी के पूर्वी तट पर दक्षिणेश्वर में मां काली मंदिर और फिर तारापीठ में मां तारा का मंदिर है। इनके अलावा भी पूरे प्रदेश में मां काली के कई मशहूर मंदिर हैं जहां सालभर भक्तों की भीड़ उमड़ती रहती है। काली पूजा के दिन तो इन मंदिरों की भव्य छटा देखते ही बनती है। वर्ष 2011 की आखिरी जनगणना के मुताबिक, प. बंगाल में 70.54 प्रतिशत हिंदू आबादी है। इसका मतलब है कि हिदुओं को नाराज करके सरकार में आना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में हिंदुओं की सबसे बड़ी आराध्य देवी के इतने भद्दे पोस्टर के समर्थन में खड़ा होना किसी भी पार्टी के लिए आत्मघाती कदम ही माना जाएगा।
टीएमसी को यह बात अच्छे से पता है, इसलिए उसने तुरंत अपनी सांसद के बयान से किनारा कर लिया। टीएमसी को इस बात का भी डर है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी हमेशा बड़ी चुनौती पेश करती है और प. बंगाल में यह पार्टी ही विपक्ष में है। सच्चाई भी यही है। बीजेपी ने महुआ के बयान को लपक लिया और तब से लगातार हमलावर है। प्रदेश बीजेपी के कद्दावर नेताओं में एक और प. बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ऐलान कर दिया है कि उनकी पार्टी मां काली के अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगी और इसके विरोध में पूरे प्रदेश में बड़ा अभियान चलाएगी।
हिंदू आस्था को लेकर टीएमसी ही नहीं, खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का रेकॉर्ड भी ठीकठाक नहीं है। प्रदेश ही नहीं, देशभर के बहुतायत हिंदुओं में गहरी धारणा है कि ममता और उनकी पार्टी हिंदुओं पर मुस्लिम तुष्टीकरण को तवज्जो देती है। प. बंगाल सरकार के कुछ फैसलों से इस धारणा को बल मिलता रहा है। दुर्गा पूजा की समाप्ति पर मूर्ति विसर्जन पर रोक का मामला हो या फिर मौलवियों को मासिक वेतन देने की बात, टीएमसी तुष्टीकरण के मुद्दे पर हमेशा बैकफुट जाती रही है। यही वजह है कि ममता बनर्जी को चुनावी रैलियों के मंचों से मंत्रों और श्लोकों का पाठ करना पड़ता है। अगर बीजेपी ने ताजा मामले को बढ़ाने की ठान ली तो टीएमसी को फिर से बैकफुट पर आना ही पड़ेगा। यही वजह है कि पार्टी ने फजीहत होने से पहले ही सांसद के बयान से दूरी बना ली है।
ध्यान रहे कि लीना मणि मेकलाई ने अपनी एक डॉक्युमेंट्री के पोस्टर में मां काली की बहुत ही भद्दी तस्वीर पेश की है। पोस्टर ट्वीट किए जाने के बाद से हिंदुओं के बड़े वर्ग में काफी ज्यादा उबाल है। उनका कहना है कि डॉक्युमेंट्री के कारण लीना को तो गिने-चुने लोग ही जानते, लेकिन अब वह विवाद खड़ा करके सुर्खियों में आ गई हैं। दरअसल, उन्हें पता है कि हिंदुओं की आस्था पर चोट करने का बहुत घातक परिणाम सामने नहीं आता है। यही वजह है कि नूपुर शर्मा विवाद से देश में जारी उबाल के बीच उन्होंने हिंदू आस्था का मजाक उड़ाने से परहेज