भारत ने ‘महान मित्र’ शिंजो आबे को दी श्रद्धांजलि, नौ जुलाई को राजकीय शोक का ऐलान
नयी दिल्ली. भारत ने शुक्रवार को अपने ‘महान मित्र’और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के सम्मान में नौ जुलाई को शोक दिवस की घोषणा की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आबे को एक उत्कृष्ट राजनेता और अद्भुत शख्सियत बताया। जापान के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे 67 वर्षीय आबे की पश्चिमी जापानी शहर नारा में तब हत्या कर दी गई, जब वह अपनी पार्टी के लिए प्रचार कर रहे थे। उन्हें आपातकालीन उपचार के लिए विमान के जरिये एक अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन तब उनकी सांस नहीं चल रही थी। बाद में उनके निधन का ऐलान कर दिया गया।
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘मेरे लिए यह विश्वास करना कठिन है कि शिंजो आबे नहीं रहे। वह एक महान राजनेता थे और उनकी मिलनसारिता ने उन्हें दुनिया भर में लोकप्रिय बनाया। वह एक हत्यारे की गोली का शिकार हो गए, यह पूरी मानवता के लिए एक त्रासदी है। उनके परिवार और जापान के लोगों के साथ मेरी हार्दिक संवेदना।”
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भी कहा कि वह जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निधन से दुखी हैं। नायडू ने ट्वीट किया, ‘‘श्री आबे ने भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके परिवार के सदस्यों और जापान के लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आबे के साथ अपने व्यक्तिगत जुड़ाव को याद किया, जिनसे वह इस साल मई में अपनी जापान यात्रा के दौरान मिले थे। मोदी ने कहा कि वह एक महान वैश्विक पथप्रदर्शक, बेहतरीन नेता और एक उल्लेखनीय प्रशासक थे, जिन्होंने जापान और दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। आबे को अपना ‘प्रिय मित्र’ बताते हुए मोदी ने कहा कि भारत के गहरे सम्मान के प्रतीक के रूप में नौ जुलाई को एक दिन का राष्ट्रीय शोक मनाया जाएगा।
शनिवार को पूरे भारत में सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। नियमित रूप से उड़ाया जाता है। ट्विटर पर भावुक पोस्ट में मोदी ने कहा कि अपनी हालिया यात्रा के दौरान उन्होंने आबे के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि यह उनसे आखिरी मुलाकात होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह अपने ‘सबसे प्यारे दोस्तों’ में से एक के दुखद निधन से स्तब्ध और दुखी हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘श्री आबे के साथ मेरा जुड़ाव कई साल पुराना है। मैंने उन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान जाना, हमारे प्रधानमंत्री बनने के बाद भी हमारी दोस्ती जारी रही। अर्थव्यवस्था और वैश्विक मामलों पर उनकी तेज अंतर्दृष्टि ने हमेशा मुझ पर गहरी छाप छोड़ी। वह हमेशा की तरह मजाकिया और व्यावहारिक थे। मुझे नहीं पता था कि यह हमारी आखिरी मुलाकात होगी। उनके परिवार और जापानी लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।”
मोदी ने कहा कि आबे ने भारत-जापान संबंधों को एक विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। टोक्यो में अपनी हालिया बैठक के दौरान आबे के साथ एक तस्वीर साझा करते हुए मोदी ने कहा कि वह हमेशा भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने के लिए उत्सुक रहे और उन्होंने अभी-अभी जापान-भारत एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था।
बाद में एक कार्यक्रम में मोदी ने कहा, ‘‘शिंजो आबे न केवल मेरे दोस्त थे, बल्कि भारत के एक भरोसेमंद दोस्त थे। आबे के शासन के दौरान भारत-जापान संबंधों ने नई ऊंचाइयों को छुआ और एक साझा विरासत को आगे बढ़ाया।”
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में जापानी राजदूत सतोशी सुजुकी के जरिये एक पत्र के माध्यम से अपनी संवेदना भेजी। उन्होंने आबे के परिवार और जापान के लोगों के प्रति इस दुखद घड़ी में अपनी गहरी संवेदना जताई। मनमोहन ने कहा, ‘‘मैं पूर्व प्रधानमंत्री महामहिम शिंजो आबे की दुखद हत्या के बारे में जानकर बहुत दुखी और स्तब्ध हूं। वह मेरे एक अच्छे दोस्त थे। प्रधानमंत्री के रूप में मेरे कार्यकाल के दौरान हमने अपने दोनों देशों के संबंधों को वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाने के लिए काम किया। हमारे प्रयासों ने भारत-जापान संबंधों को गुणात्मक रूप से नए स्तर पर पहुंचा दिया।”
गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने भी आबे को भारत का ‘मूल्यवान मित्र’ बताया और कहा कि भारत-जापान संबंधों को मजबूत करने के उनके प्रयास हमेशा हमारी यादों में रहेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आबे के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि दुनिया ने एक महान नेता खो दिया है। कांग्रेस के कई नेताओं ने भी आबे की हत्या पर दुख व्यक्त किया। कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने आबे को भारत का ‘महान दोस्त’ बताया और कहा कि उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए बहुत कुछ किया।
सोनिया ने कहा, ‘‘आबे सालों से भारत के एक महान मित्र और शुभचिंतक थे। उन्होंने हमारे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा करने के लिए बहुत कुछ किया। उनकी कमी खलेगी।” कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत और जापान के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में उनकी भूमिका की सराहना की।
राहुल ने ट्वीट किया, ‘‘जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के निधन से गहरा दुख हुआ। भारत और जापान के बीच रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने में उनकी भूमिका सराहनीय थी। वह भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक स्थायी विरासत छोड़ गए हैं। उनके परिवार और जापान के लोगों के प्रति मेरी संवेदना। ”
पूर्व मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि आबे स्पष्ट रूप से भारत और उसके लोगों के लिए गहरी प्रशंसा रखते थे और उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की पूरी कोशिश की। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार, जो जापान में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विशेष दूत थे, ने कहा कि वह आबे के निधन से बहुत दुखी और निराश हैं।
कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘व्यक्तिगत नुकसान की मेरी भावना को पर्याप्त रूप से व्यक्त करने में शब्द विफल हैं। मुझे उनके साथ रहने का सौभाग्य तब मिला, जब उन्होंने वर्ष 2007 में भारत का दौरा किया। मैं उनकी गहरी विनम्रता से बहुत प्रभावित हुआ।”
आबे ने निश्चित रूप से जापान-भारत संबंधों पर एक अमिट छाप छोड़ी है और न केवल मोदी बल्कि सिंह के साथ भी एक महान तालमेल साझा किया है। वर्ष 2006 में सिंह और आबे ने नई चुनौतियों को ध्यान में रखा था, और वार्षिक प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन के प्रावधान के साथ संबंधों को वैश्विक और सामरिक साझेदारी में अपग्रेड किया गया था। वर्ष 2007 में आबे भारतीय संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करने वाले पहले जापानी प्रधानमंत्री बने।
सांसदों को संबोधित करते हुए जापानी नेता ने उस समय को याद किया जब भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1957 में नयी दिल्ली में आबे के नाना और तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री नोबुसुके किशी की मेजबानी की थी। आबे वर्ष 2014 में नयी दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि भी थे। फिर वार्षिक शिखर सम्मेलनों की एक श्रृंखला आई, जहां आबे और मोदी के बीच की दोस्ती हर किसी के लिए देखने लायक थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2014 में जापान का दौरा किया और उस यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने संबंधों को ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ में उन्नत किया। बाद की यात्राओं में, आबे और मोदी ने दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने के लिए व्यक्तिगत स्पर्श और सांस्कृतिक संदेश को शामिल किया। आबे की वर्ष 2017 की भारत यात्रा, जिसके दौरान उन्होंने अहमदाबाद का दौरा किया, के बाद भारत में पहली बुलेट ट्रेन परियोजना की नींव रखी गई।