नई दिल्ली : शरीर के भीतर जब कोई बीमारी पनप रही होती है, तो उसके लक्षण बाहर में नजर आने लगते हैं। ऐसी ही एक समस्या से हड्डियों को लेकर है। आपने महसूस किया होगा कि कभी-कभी उठते-बैठते या चलते समय हड्डियों के चटकने की आवाज आती है। लोग आमतौर पर हड्डियों से आने वाली इस तरह की आवाज को नजरअंदाज कर देते हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह शरीर के भीतर चल रही किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकती है।
वैसे कभी-कभी हड्डियों के चटकने की आवाज आना हानिकारक नहीं होता है लेकिन अधिकतर मामले में इसकी वजह हड्डियों की कमजोरी या गठिया हो सकता है। ऐसी आवाज खासकर हड्डियों के जोड़ों में आती है, जो यह दर्शाता है कि आपके जोड़ों में कोई दिक्कत चल रही है।
नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है जोड़ों के कार्टिलेज खराब हो जाते हैं, जो इस तरह की आवाज का कारण बन सकते हैं। लेकिन समस्या तब होती है, जब आवाज के साथ जोड़ों में दर्द या सूजन की शिकायत भी होती है। इसके अलावा अगर आपकी सर्जरी हुई है और उसके बाद भी आवाज आ रही है, तो निश्चित के साथ होती है, या चोट लगने के बाद होती है, तो यह देखने के लिए अपने चिकित्सक से संपर्क करें कि क्या कोई अंतर्निहित चिकित्सा स्थिति है।
हड्डियों के चटकने से जुड़े फैक्ट्स
जोड़ों में इस तरह की आने वाली आवन को क्रेपिटस (crepitus) के रूप में जाना जाता है
एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में 25 से 45% लोगों को यह समस्या होती है
जिन लोगों को उंगलियां चटकाने की आदत होती है, उनमें यह समस्या अधिक पाई गई है
एक अध्ययन से पता चला कि जोड़ों की आवाज को किसी बीमारी से नहीं जोड़ा गया
हड्डियों से क्यों आती है आवाज
हड्डियों उया जोड़ों में आवाज आने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि यह हड्डियों की किसी गंभीर स्थिति का कारण है जबकि कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। वास्तव कई अध्ययनों के होने के बावजूद इसके सही कारणों का पता नहीं लग पाया है।
यह 3 विकार भी हैं कारण
मांसपेशियों को नुकसान- एक अध्ययन के अनुसार, जब मांसपेशियों में खिंचाव होता है, तो ऐसी आवाज आ सकती है। यह संकेत है कि आपकी मांसपेशी में किसी तरह का स्ट्रेस है।
कार्टिलेज का नुकसान- यह उम्र बढ़ने से हो सकता है, जिससे जोड़ मोटे हो सकते हैं और आवाज आ सकती है। गठिया- यह विकार कार्टिलेज को खत्म कर सकता है, जिससे आपको ऐसी आवाज आ सकती है।
कैसे करें बचाव
इससे बचने के लिए आपको फिजिकल रूप से एक्टिव रहना चाहिए। आप स्ट्रेचिंग भी कर सकते हैं। इसके अलावा दिमाग और शरीर को शांत रखने की कोशिश करें। आप इससे बचाव के लिए हफ्ते में दो गहनते एक्सरसाइज भी कर सकते हैं।