जयपुर : राजस्थान में बसपा से कांग्रेस में शामिल विधायकों ने एक बार फिर सीएम गहलोत की टेंशन बढ़ा दी है। ये विधायक वादे पूरे नहीं होने से नाराज है। राज्यसभा चुनाव के दौरान इन विधायकों को आश्वासन दिया गया था। बताया जा रहा है कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए मंत्री राजेंद्र गुढ़ा, संदीप यादव, लाखन मीणा, कांग्रेस विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा और गिर्राज सिंह मलिंगा ने अपनी मांगों को लेकर सरकार को अल्टीमेटम भिजवा दिया है। इन मंत्रियों की मांग है कि कैबिनेट में जल्द से जल्द पुनर्गठन हो। बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को सरकार बचाने पर किए गए वादे के अनुसार पद दिए जाएं। मंत्री राजेंद्र गुड्डा को वादे के मुताबिक वरिष्ठता के हिसाब से पद दिया जाए। संवैधानिक बोर्ड निगम के अध्यक्षों को दर्जा दिया जाए। वरिष्ठ विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा और गिर्राज सिंह मलिंगा को पद दिए जाएं। सभी विधायकों के क्षेत्र से जुड़े काम और अधिकारियों की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई हो।
बार-बार संकट के समय में इन विधायकों ने गहलोत सरकार का साथ दिया। धीरे-धीरे सरकार के साथ ही संगठन में भी इन विधायकों की चवन्नी चलने लगी और पार्टी भी संगठन से जुड़े कार्यों में इन विधायकों को आगे रखने लगी। ऐसे में इन क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले मूल रुप से कांग्रेसी परेशान हैं। बार-बार ये कांग्रेसी नेता अपनी नाराजगी और पीड़ा जाहिर कर रहे हैं। इन कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार में भले ही इन विधायकों का साथ जरुरी हो लेकिन संगठन में तो मूल रुप से कांग्रेसियों को ही तवज्जो मिलनी चाहिए। दरअसल इन सीटों पर कांग्रेस के खुद के विधायक जीतकर नहीं आए हैं। बसपा से कांग्रेस से शामिल हुए विधायक इन सीटों पर चुनाव जीतकर आए। सरकार बनाने के साथ ही सरकार बचाने के लिए भी पार्टी को इन विधायकों के साथ की जरुरत पड़ी। ऐसे में सीएम गहलोत दुविधा की स्थिति में है।
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों ने वर्ष 2020 में पायलट की बगावत के समय सीएम गहलोत का साथ दिया था। ये विधायक कांग्रेस पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। इन विधायकों की अगुवाई करने वाले मंत्री राजेंद्र गुढ़ा का कहना है कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने वादा पूरा नहीं किया है। इन विधायकों के बदले रवैये से गहलोत सरकार पर संकट नहीं आएंगा। लेकिन परेशानी जरूर बढ़ जाएगा।