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अब एक ही कॉलेज से स्थानीय University के साथ ही RGPV की देंगे डिग्री

भोपाल : प्रदेश के करीब डेढ़ दर्जन कालेजों ने स्थानीय विवि के अलावा आरजीपीवी (RGPV) से संबद्धता लेने के लिये आवेदन किये हैं। कुछ और कालेजों ने एनओसी (NOC) और एलओआई (LOI) के लिये AICTE और स्थानीय विवि में आवेदन किये हैं।

स्थानीय विवि के MBA के कालेज को प्रथम और द्वितीय वर्ष में एक लाख संबद्धता शुल्क और 18 हजार जीएसटी लेते हैं। तीसरे वर्ष से उन्हें 25 हजार रुपये निरंतरता के देना होते हैं। जबकि आरजीपीवी हरेक कोर्स की संबद्धता का महज 25 हजार रुपये लेता है।

संबद्धता लेने के लिये कालेजों ने सीधे आरजीपीवी में आवेदन किया था। इस दौरान उन्होंने बताया कि पहले वे एआईसीटीई से एलओआई (लेटरल आफ इंटेंट ) लेकर आए। इसके बाद स्थानीय विवि से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण-पत्र) लेकर आएं। इसके बाद ही उन्होंने आरजीपीवी से संबद्धता मिल सकेगी।

एमबीए कालेज अभी तक पारंपरिक विवि से संबद्धता लेकर विद्यार्थियों को डिग्रियां दे रहे हैं। प्रदेश के सभी पारंपरिक विवि पचास वर्ष से ज्यादा पुराने हैं। उनका प्रदेश में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में नाम जमा हुआ है। RGPV को स्थापित हुये महज तीस वर्ष ही हुए हैं। उनके लिये एमबीए की डिग्री देना अभी से शुरू किया है।

कार्यपरिषद की बैठक में निर्णय होने के बाद एमबीए की डिग्री देने पर सहमति बनी है। इससे अब एमबीए की परीक्षाएं स्वयं लेकर रिजल्ट भी जारी करेगा। इससे एमबीए की डिग्री आरजीपीवी से लेना विद्यार्थियों के लिये नुकसानदायक हो सकता है।

पारंपरिक विवि से संबद्धता लेने पर कालेजों को अपनी फीस ज्यादा लेने में तकलीफ हो सकती है, लेकिन RGPV एक टेक्नीकल यूनिवर्सिटी है। इससे उन्हें आरजीपीवी की मुहर पर प्रवेश एवं फीस विनियामक समिति से ज्यादा फीस निर्धारित कराने में आसानी होगी।

ऐसी जानकारी दी गई कि स्थानीय विवि से कालेजों को ज्यादा सीटों का इंटेक नहीं मिलता और आरजीपीवी से ज्यादा सीटों का इंटेक मिलेगा। इससे कम संबद्धता शुल्क देकर ज्यादा से ज्यादा सीटों पर प्रवेश करा सकेंगे।

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