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मेयरों के सम्मेलन में CM का क्या काम,LG ने रद्द किया AK का सिंगापुर टूर

नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर जाने का अपना प्लान कैंसल करना पड़ सकता है, क्योंकि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उन्हें इस सम्मेलन में जाने की इजाजत नहीं दी है। करीब डेढ़ महीने से लंबित फाइल को अब उपराज्यपाल ने यह कहते हुए लौटा दिया है कि सिंगापुर में होने जा रहा सम्मेलन मेयर्स का है, इसमें सीएम का जाना ठीक नहीं है। अब इस विवाद पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनोज सिसोदिया ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उनकी नजरों में ये सिर्फ एक ओछी राजनीति है जिसके तहत केजरीवाल को सिंगापुर जाने से रोका जा रहा है. वे कहते हैं कि उपराज्यपाल ने मेयर की कॉन्फ्रेंस का हवाला देते हुए फ़ाइल लौटा दी है. उनकी तरफ से सिंगापुर की इस कॉन्फ्रेंस में नहीं जाने का सुझाव दिया गया है. ओछी राजनीति के तहत ये सब किया गया है.

वैसे इस पूरे विवाद पर एलजी वीके सक्सेना ने सिर्फ ये कहा है कि केजरीवाल जिस बैठक का हिस्सा बनना चाहते हैं, वो मेयरों की है, वहां पर किसी भी मुख्यमंत्री की जरूरत नहीं है. इसी वजह से सीएम अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर दौरे की मंजूरी नहीं दी गई है.

एलजी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि सिंगापुर में होने जा रही बैठक में Urban Governance के अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा होनी है. दिल्ली में ये सारा काम NDMC, MCD और DDA देखता है. इसी वजह से एलजी मानते हैं कि मुख्यमंत्री का उस बैठक में शामिल होना गलत उदाहरण सेट करेगा.

कुछ दिन पहले बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने भी केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा था कि मेयरों की बैठक में सीएम जाकर क्या दिखाना चाहते हैं? वे क्या करना चाहते हैं? तिवारी ने यहां तक कह दिया है कि केजरीवाल के दरवाजे पर तीन-तीन मेयर 15 दिन तक बैठे रहते हैं, लेकिन उनकी तरफ से कोई फंड नहीं दिया जाता है, वे उनसे मिलने की जहमत तक नहीं दिखाते.

वैसे इससे पहले भी विदेशी दौरों को लेकर केजरीवाल की केंद्र से तकरार देखने को मिली है. अधिकारों की इस लड़ाई में हर बार बीजेपी बनाम आम आदमी पार्टी की जंग देखने को मिल जाती है. इस बार भी सिंगापुर विवाद में वही देखने को मिल रहा है. इस पर अरविंद केजरीवाल ने सिर्फ इतना कहा है कि मैं कोई अपराधी नहीं हूं, दिल्ली का निवार्चित सीएम हूं, मुझे क्यों रोका जा रहा है, किस आधार पर मंजूरी नहीं दी जा रही. ये सारी बातें मेरी समझ से बाहर हैं.

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