जीवनशैली

5 बेहद जरूरी बातें जो हर पिता को अपनी बेटी से कहनी चाहिए

father-and-daughter-5680e964edf5e_lआज बेटे और बेटी में फर्क धीरे-धीरे कम हो रहा है। और जो फर्क बचा है, उसे खत्म करने की जिम्मेदारी हमारी और आपकी साझी है। बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, इसमें कोई दो राय नहीं है। उनका आत्मविश्वास भी आसमान छू रहा है, लेकिन कई बार उनका आत्मविश्वास डगमगा जाता है। ऐसे में अगर उन्हें शुरू से ही आत्मविश्वास का पाठ पढ़ाया जाए तो वे और कमाल कर सकती हैं। खासतौर से पिता की बेटी की परवरिश में खास भूमिका होती है। आप एक बेटी के पिता हैं, तो आपको पता होनी चाहिए ये 5 बातें, जो उसकी परवरिश के लिए बेहद जरूरी हैं…

प्रयासों की तारीफ करें, प्रतिभा की नहीं

पेरेंट्स होने के नाते आपको यह अजीब लग सकता है कि बेटी की प्रतिभा की तारीफ नहीं की जाए। तुम बहुत स्मार्ट हो, तुम बहुत प्रतिभाशाली हो, की बजाय तुमने इस काम के लिए इतनी मेहनत की है, मुझे तुम पर गर्व है, जैसी बात कहें। कुल मिलाकर आपको क्रिया में निवेश करना है, फल में नहीं।

अपना व्यवहार देखें

आपकी बेटी आपके व्यवहार से बहुत कुछ सीखती है। बहुत आलोचना बेटी को सिखाती है कि गलती बहुत ही बुरी चीज है। ऐसे में छोटी सी विफलता मिलने पर ही उसका आत्मविश्वास डावांडोल हो सकता है। इसलिए उसे सिखाएं कि गलतियों और विफलताओं से कैसे आत्मविश्वासपूर्वक निपटा जाए।

रिस्क लें

अपनी बेटी के सामने जताएं कि आप अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकलने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ऐसा करते समय यह जरूरी नहीं है कि आप हर काम एकदम परफेक्टली करें। थोड़ी गड़बड़ हो जाए तो कोई चिंता नहीं, क्योंकि आपकी बेटी को यह समझ आना जरूरी है कि जब कम्फर्ट जोन टूटता है तो कुछ परेशानी आती ही है। इस परेशानी से घबराना नहीं चाहिए, इसे आराम से लेना चाहिए। वैसे भी गलतियां होना साबित करता है कि आप इंसान हैं, मशीन नहीं।

सूरत नहीं, सीरत संवारें

हम सभी चाहते हैं कि हमारी बेटियां खूबसूरत दिखें। आप भी अपनी बेटी को खूबसूरती का महत्व समझाते हैं, लेकिन ध्यान रहे यह एक सीमा तक ही हो। खूबसूरती पर बहुत ज्यादा ध्यान देते वक्त संस्कारों को अनदेखा कर देना, आपकी बेटी का आत्मविश्वास कमजोर कर सकता है, क्योंकि आखिर में काम तो संस्कार ही आते हैं।

बचाएं लैंगिक भेदभाव से

अगर आपको अपनी बेटी में आत्मविश्वास बढ़ाना है तो उसे लैंगिक भेदभाव से दूर रखना होगा और आपकी दूसरी संतान लड़का है तो फिर आपकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। बच्चों से घर का काम कराते वक्त लैंगिक भेदभाव न बरतें। यह मत सोचें कि यह काम लड़कों का है या लड़कियों का। लड़कियों वाले काम बेटे से कराएं और लड़के वाले काम बेटी से।

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