दुबई। एक ओर जहां कच्चे तेल की कीमतें बीते 11 सालों के रिकॉर्ड में पहली बार 37 डॉलर तक कम हुई हैं, वहीं सऊदी अरब की ओर से कच्चे तेल की कीमतों में इजाफे का फैसला किया गया है। सउदी अरब के इस निर्णय से तेल की कीमतों में उछाल आ सकता है, जिसका असर भारत पर पड़ेगा।
बताया जा रहा है कि लगातार घाटे से जूझ रहे देश को उबारने के लिए ऎसा फैसला किया गया है। दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब का राजस्व घाटा करीब 66 बिलियन यूरो है। लगातार बढ़ रहे घाटे से निपटने के लिए कच्चे तेल की कीमतों में 40 फीसदी इजाफा करने का फैसला लिया गया है।
तेल पर निर्भर है सऊदी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब का 80 फीसदी राजस्व लाभ तेल पर निर्भर करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत अब 40 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे चली गई हैं। हालांकि देश में लगातार बढ़ रहे राजस्व घाटे को कम करने के लिए सरकार ने तेल से सब्सिडी हटाने का फैसला लिया है।
दुनियाभर में होगा असरः
माना जा रहा है कि सऊदी अरब के इस फैसले से दुनिया के तमाम देशों में तेल कीमतों पर जबरदस्त उछाल आ सकता है। यहां की सरकार आने वाले बजट सत्र में घाटे को कम करने की योजना पर काम कर रही है। वहीं, दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतों में सोमवार को 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए करीब 37 डॉलर की कमी आई।