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ताइवान पर हुआ हमला तो भुगतेगी पूरी दुनिया, मोबाइल से लेकर कम्प्यूटर, कार सब होगा बंद

mumbai : चीन की टेढ़ी नजर पहले से ही ताइवान पर लगी हुई है और ऐसे में कुछ दिन पहले ही नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद से ही चीन और ताइवान का तनाव ज्यादा बढ़ गया है। यदि यह जंग होती है तो विशेषज्ञ अब नफा नुकसान को आंकने में जुटे हैं कि यदि चीन और ताइवान का तनाव ज्यादा बढ़ जाएगा तो उसका नुकसान बाकी दुनिया पर क्या होगा। एक चीज और जो निकलकर सामने आई है वह यह कि ताइवान चीन टकराव के बाद का जो सबसे बड़ा संभावित जोखिम भारत समेत अन्य देशों पर पड़ेगा, उनमें से एक सेमीकंडक्टर चिप की तकनीक भी शामिल है।

दरअसल, चीन ताइवान तनाव को देखते हुए इंडियन फेडरेशन आॅफ आॅटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विंकेश गुलाटी ने कहा कि दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब दुनिया ताइवान-चीन युद्ध की आशंका से जूझ रही है। अगर ऐसा हुआ तो सेमीकंडक्टर की कमी का खतरा एक बार फिर से हो जाएगा क्योंकि ताइवान की सेमीकंडक्टर चिप निमार्ता टीएसएमसी का मानना है कि अगर टकराव ज्यादा बढ़ेगा तो ताइवान के चिप निमार्ताओं को ‘नॉन-आॅपरेट’ कर दिया जाएगा।

इतना ही नहीं इससे सिर्फ मोबाइल कंपनियां ही नहीं प्रभावित होंगी बल्कि कार कंपनियों को भी झटका लगेगा। ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी दुनिया की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर कंपनी है। सेमीकंडक्टर के मामले में इस कंपनी के दबदबे का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि टीएसएमसी एक समय ग्लोबल मार्केट की 92 फीसदी डिमांड को पूरा कर रही थी। सेमीकंडक्टर का इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, कारों के सेंसर में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। आजकल पूरी दुनिया में जितनी भी गाड़ियां बनती हैं, उनमें इन्हीं का ही इस्तेमाल होता है।

अभी हाल ही में ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के चेयरपर्सन मार्क लिउ ने कहा था कि यदि चीन ताइवान पर अटैक करता है तो फिर दुनिया की सबसे अडवांस चिप फैक्ट्री काम नहीं कर पाएगी। उनका कहना था कि क्योंकि हम ग्लोबल सप्लाई चेन पर निर्भर हैं। इसलिए अटैक की स्थिति में हमारे लिए काम करना मुश्किल होगा। और जब सेमीकंडक्टर्स की सप्लाई ही नहीं होगी तो शायद दुनिया के कई हिस्सों में ना नया मोबाइल काम करेगा ना गाड़ियां चल पाएंगी।

एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी नामी टेक कंपनियां ताइवान पर ही सेमीकंडक्टर्स के लिए निर्भर हैं। कोरोना काल में भी जब चीन से सेमीकंडक्टर्स की सप्लाई बाधित हुई थी तो ताइवान ने ही पूरी दुनिया में आपूर्ति जारी रखी थी। साफ है कि यूक्रेन पर अटैक के बााद गेहूं जैसी चीजों के लिए तरसने वाली दुनिया तकनीकी संकट का सामना कर सकती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के कुल सेमी कंडक्टर चिप उत्पादन में 63 प्रतिशत हिस्सा अकेले ताइवान का है। यानी दुनिया भर में प्रत्येक 10 सेमी कंडक्टर चिप में से 6 या 7 चिप ताइवान की कंपनी का ही है। अगर भारत की बात करें तो आॅटोमोबाइल बिक्री में 2022 में सालाना आधार पर आठ प्रतिशत की गिरावट देखी गई। फेडरेशन आॅफ आॅटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हाल के समय में यह गिरावट लगातार देखी जा रही है।

फिलहाल अब यह देखना होगा कि इस चर्चित दौरे से चिढ़ने वाला चीन ताइवान की समस्या को कैसे हैंडल करता है। अगर उसने ताइवान पर हमला किया तो उसका भी उतना ही नुकसान होगा जितना बाकी देशों का होगा। खासकर जहां तक सेमीकंडक्टर्स की सप्लाई की बात है। क्योंकि इसके चलते तमाम इंडस्ट्री अपने आप सेमीकंडक्टर के बिना ठप हो जाएंगी।

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