एक ट्रिलियन इकोनामी लक्ष्य को पूरा करने में खाद प्रसंस्करण उद्योग अहम : नंदी
खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास के लिए करेंगे सभी जरूरी काम
दीपक बजाज ने की खाद्य प्रसंस्करण से मंडी शुल्क हटाने की मांग
-सुरेश गांधी
वाराणसी : उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कहा कि एक ट्रिलियन इकोनामी के लक्ष्य को पूरा करने में खाद प्रसंस्करण उद्योग की महती भूमिका है। इसलिए इससे जुड़े उद्यमियों की समस्याओं का निस्तारण कराना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। नंदी इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आर.के. चैधरी व आईआईए की फूड प्रोसेसिंग कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक बजाज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान फूड प्रोसेसिंग यूनिट के चेयरमैन दीपक बजाज द्वारा नंदी का स्वागत व अभिनंदन अंगवस्त्रम व स्मृती चिह्न देकर किया गया। इस मौके पर संतुष्टि कॉलेज ऑफ नर्सिंग होम के प्रबंधक एवं सीनियर डा संजय कुमार गर्ग एवं डा रितु गर्ग के अलावा अजय केशरी आदि मौजूद थे। इस दौरान चैधरी एवं बजाज द्वारा नंदी को प्रदेश में मंडी स्थल से बाहर लगने वाले मंडी शुल्क को समाप्त करने की मांग संबंधित पत्रक सौंपा। पत्रक के जवाब में नंदी ने कहा कि उद्योग जगत की समस्याओं एवं उसके निस्तारण के लिए वह लगातार प्रयासरत है।
दीपक बजाज द्वारा मांग की गयी है कि उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित नई खाद्य प्रसंस्करण नीति के अंतर्गत रोलर फ्लोर मिल एवं राइस मिल को पारंपरिक उद्योग की श्रेणी में रखने के फैसले पर पुनर्विचार करते हुए रोलर फ्लोर मिल व राइस मिल को इस श्रेणी से बाहर रखा जाय। उद्यमियों द्वारा बताया गया है कि ऐसा करने से इस उद्योग को नई प्रस्तावित खाद्य प्रसंस्करण नीति के सभी लाभ आसानी मिल सकेंगे। मांग पत्र में दीपक बजाज ने कहा है कि उत्तर प्रदेश गेहूं के उत्पादन में राष्ट्र में प्रथम स्थान रखता है। पूरे भारतवर्ष की लगभग एक तिहाई रोलर फ्लोर मिल उत्तर प्रदेश में हैं। रोलर फ्लोर मिल व राइस मिल रोजगार सृजन के परिपेक्ष्य में उत्तर प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ उद्योग है। ऐसे में इसे पारंपरिक उद्योग की श्रेणी में रखने से सरकार द्वारा मिलने वाला कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है। जबकि यह उद्योग अन्य प्रदेश जैसे बिहार, बंगाल, मध्य प्रदेश, दिल्ली आदि के उद्योगों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे। परिणाम स्वरूप इस उद्योग से जुड़े फैक्ट्री उत्तर प्रदेश में बंद हो जाएंगे या फिर इनका पलायन अन्य प्रदेशों में हो जाएगा। इससे सरकार को मिलने वाला राजस्व तो घटेगा ही उत्तर प्रदेश के किसानों की आय भी प्रभावित होगी तथा बेरोजगारी भी बढ़ेगी।