जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में आज सपा करेगी फैसला
संभावना है कि कुछ प्रत्याशियों में बदलाव कर दिया जाए। एक जनवरी को नामांकन से पहले 31 दिसंबर की बैठक को अहम माना जा रहा है।
जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के लिए एक जनवरी को नामांकन और 7 जनवरी को मतदान होना है। नामांकन से पहले बृहस्पतिवार को मुलायम सिंह कई जिलों के पार्टी नेताओं से एक-एक करके मिलेंगे।
इनमें कुछ ऐसे नेता भी हैं जो घोषित प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं और किसी दूसरे उम्मीदवार को चुनाव लड़ा रहे हैं। उनके अपने तर्क हैं। मुलायम ऐसे नेताओं से जिले के समीकरणों और चुनावी संभावनाओं की जानकारी लेंगे।
सपा की कोशिश है कि एक जनवरी को नामांकन के दौरान पार्टी एकजुट रहे। इससे कई प्रत्याशियों के निर्विरोध निर्वाचन का रास्ता साफ हो जाएगा। एक दर्जन से ज्यादा जिलों में सपा के अधिकृत और बागी प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं। इन जिलों में बसपा या भाजपा के उम्मीदवार नहीं हैं।
बागियों ने वहां सपा प्रत्याशी का समीकरण बिगाड़ रखा है। ऐसे नेताओं ने यदि समझाने के बावजूद अपना रुख नहीं बदला तो उन पर कार्रवाई हो सकती है। बुधवार को कुछ विधायकों को निलंबित करने की अटकलें लगाई जाती रहीं।
हालांकि पार्टी ने स्पष्ट किया कि किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मंत्री शिवपाल यादव भी राजधानी में रहेंगे। जरूरत पड़ने पर सपा मुखिया प्रत्याशियों में बदलाव पर उनसे चर्चा भी कर सकते हैं।
तीन-चार जिलों में बसपा, इतने ही जिलों में भाजपा और बागपत जिले में रालोद उम्मीदवार से मुकाबला लग रहा है। सपा 74 में कम से कम 70 जिलों में जीत का लक्ष्य लेकर चल रही है।
भाजपा, बसपा ने डाले हथियार
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए भाजपा और बसपा ने प्रदेश स्तर से प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी का कहना है कि जिन जिलों में समीकरण अनुकूल हैं वहां चुनाव लड़ा जा रहा है। प्रदेश इकाई ने इसमें दखल नहीं दिया है और न ही उम्मीदवार घोषित किए हैं।
एक भाजपा नेता के मुताबिक लगभग डेढ़ दर्जन जिलों में भाजपा समर्थित प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे। इसी तरह बसपा ने उम्मीदवारों का एलान नहीं किया है। हाथरस, अलीगढ़, सहारनपुर समेत कुछ जिलों में बसपा मजबूती से लड़ रही है।