पटना : बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है, यहां की धरती से लाल पूरे विश्व में अपना परचम लहरा रहे हैं। अब बिहार के सहरसा ज़िले का युवक सुर्खियों में हैं क्योंकि वह कभी रिक्शा चलाया करता था लेकिन अब उसने एक रोडवेज़ एप्प बनाया है जिसके ज़रिए कैब बुकिंग कर लोग किराये में 60 फीसद तक रुपयों की बचत कर पा रहे हैं। एप्प बनाने वाले दिलखुश का दावा है कि उसके एप्प से कैब संचालकों की आय में भी क़रीब 15 हज़ार रुपये का इज़ाफ़ा हो सकता है। कैब सेवा देने वाली रोडबेज एप्प को ग्रामीण इलाकों में लोग काफी पसंद कर रहे हैं।
दिलखुश खुद तो ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन उनकी टीम में आईआईटी, आईआईएम और ट्रिपल आईटी की डिग्री वाले इंजीनियर और मैनेजर काम कर रहे हैं। उनकी 16 लोगों की टीम है इसमें से चार सदस्यों ने हिंदुस्तान के उच्च शिक्षण संस्थानों तालीम हासिल की है। जोश टॉक में युवाओं को स्टार्ट अप के लिए मोटिवेट करने के लिए हाल ही में दिलखुश को बुलाया गया था। दिलखुश ने अपने स्टार्ट अप का ज़िक्र करते हुए बताया कि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को देखते हुए उन्हें कैब सर्विस प्रोवाइड करने का आईडिया आया।
दिलखुश ने जब मार्केट रिसर्च किया तो उन्होंने पाया की ज़्यादातर लोगों को कैब से सफ़र करने पर दोनों तरफ़ का किराया देना होता है, जबकी सफर एकतरफा होता है। इसी को ध्यान में रखते हुए दिलखुश ने एकतरफा कैब की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए नेटवर्क तैयार कर एप्प डेवलप किया। इस एप्प से बुकिंग करने पर लोगों को एक तरफ़ का ही किराया देना होता है। इस तरह सफर पर जाने वाले लोगों को कैब के किराये में क़रीब 60 फीसद तक की बचत हो जाती है। इस एप्प के ज़रिए लंबी दूरी पर सफर करने वाले लोगों को पांच घंटे पहले पहले बुकिंग करनी होती है ताकि कैब ड्राइवर को जाने और आने दोनों तरफ़ की सवारी मिल सके।
दिलखुश कुमार की निजी ज़िंदगी की बात की जाए तो वह पैसे की अभाव में ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाए। उनकी शुरुआती ज़िंदगी बहुत ही तंगी में गुज़री। आर्थिक तंगी इतनी ज्यादा थी कि सुविधा के अभाव में वह सही तालीम भी हासिल नहीं कर पाए। थर्ड क्लास से मैट्रिक पास किया और बारहवीं में सेकेंड डिवीजन से पास हुए। आर्थिक तंगी का ये आलम था कि एक कपड़े पहने हुए पूरा सप्ताह गुज़ार देते थे।
दिलखुश कुमार के पिता ड्राइवर थे, वह इतना ही कमा पाते थे कि बच्चे को दो वक्त की रोटी खिला सकें। वहीं दिलखुश कुमार की कम उम्र में शादी हो जाने की वजह से परिवारिक बोझ और ज्यादा बढ़ गया था। आर्थिक स्थिति को देखते हुए दिलखुश ने पढ़ाई छोड़ कर नौकरी की तलाश शुरू कर दी थी। नौकरी की तलाश में वह जॉब फेयर गए जहां पर स्कूल में चपरासी की नौकरी के लिए आवेदन भरा जा रहा था, उन्होंने आवेदन भर दिया। इत्तेफ़ाक से उन्हें पटना से इंटरव्यू के लिए बुलाया गया।