कारों के काफिले से नहीं जमीन पर काम करने से जीत मिलेगी- कमलनाथ
भोपाल : आप से बेहतर तो बाल कांग्रेस काम कर रही है, उनमें ज्यादा उत्साह नजर आता है। यह बात पीसीसी चीफ कमलनाथ ने गुरुवार को भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठक में कही। बैठक में विधायकों, विधानसभा, लोकसभा, मेयर के पूर्व प्रत्याशी, जिला प्रभारी, सह प्रभारी के अलावा प्रकोष्ठों के अध्यक्ष भी शामिल हुए। कमलनाथ ने जिला प्रभारियों, सह प्रभारियों और जिलाध्याक्षों से स्पष्ट कहा कि यदि आपके पास पार्टी और संगठन के लिए समय नहीं है तो अभी बता दो। ऐसे पदों पर हम आने दूसरे मेहनती लोगों को मौका देंगे। बैठक में कमलनाथ ने कहा कि दो सौ गाडियों का काफिला लेकर भोपाल आने वाले नेताओं को जमीन पर संगठन को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। कारों के काफिले से नहीं जमीन पर काम करने से जीत मिलेगी। अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं ऐसे में हवाबाजी के बजाए जमीन पर काम करने से ही कामयाबी मिलेगी। बैठक में पीसीसी चीफ कमलनाथ ने विधायकों को भी संगठन के कामों पर ध्यान देने की नसीहत दी। इसके कुछ देर बाद दो विधायक बैठक से बाहर निकल गए। हालांकि जब जीतू पटवारी से मीटिंग में पीसीसी चीफ द्वारा फटकारने की वजह पूछी तो उन्होंने जवाब दिया कि कोई फटकार नहीं लगाई।
मप्र में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने संगठन को मजबूत करने तैयारियां तेज कर दी हैं। हाल ही में हुए नगरीय निकाय के चुनाव में कांग्रेस को 5 नगर निगमों में मिली कामयाबी के बाद अब जमीनी स्तर पर संगठन की मजबूती के प्रयास तेज हो गए हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने जमीनी स्तर पर कांग्रेस के संगठन को खड़ा करने की कमान अपने हाथ में ली है। वे विधायकों और व्यक्ति विशेष के बजाए संगठन की कमान जिला प्रभारियों और सह प्रभारियों के हाथों में सौंपने की तैयारी में हैं। विधायकों से जिलाध्यक्षों का प्रभार वापस लेकर फुल टाइम वर्कर को जिला कांग्रेस कमेटी की कमान सौंपी जा रही है।
पीसीसी चीफ कमलनाथ से जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ में नाम चलने का सवाल पूछा तो उन्होंने कहा – मैंने साफ कर दिया है कि मैं मध्यप्रदेश नहीं छोडूंगा। मध्यप्रदेश में ही रहूंगा। कई विधायक ऐसे थे जिनके पास एक से अधिक पद थे। उन्होंने इस्तीफ़ा दिया है। उन जिलों में हम नए जिलाध्यक्ष बनाएंगे। धार में मिट्टी का डैम बनाया था, वह टूट गया। मुआवजा कब मिलेगा प्रभावितों को कुछ पता नहीं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में शिवराज सिंह का हवाई सर्वे भी हवाई है, मुआवजा क्यों नहीं दे रहे हैं। शिवराज जी मीडिया इवेंट करने मे माहिर हैं।
निकाय चुनाव में गड़बड़ी करने वाले और निष्क्रिय जिलाध्यक्षों की छुट्टी हो सकती है। पीसीसी से मिली जानकारी के मुताबिक करीब 10 जिलों के जिला अध्यक्षों को बदला जा सकता है। प्रदेश स्तर से जारी होने वाले संगठन के कामों में ढ़ील बरतने वाले जिलाध्यक्षों को बदलकर सक्रिय कार्यकर्ताओं को मौका दिया जा सकता है।