अब प्रदेश के निजी मेडिकल कालेजों के डाक्टर भी एक साल अनिवार्य सेवा का करेंगे पालन
भोपाल : प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में इलाज करने के लिए इस साल से 1000 से ज्यादा डाक्टर मिल सकेंगे। इसकी वजह यह है कि अनिवार्य सेवा बंधपत्र के तहत निजी मेडिकल कालेजों में पढ़ाई करने वाले एमबीबीएस छात्रों को डिग्री पूरी करने के बाद शासन द्वारा तय अस्पताल में जाकर एक साल तक अनिवार्य रूप से सेवा देनी होगी। इन्हें 55 हजार रुपये हर महीने सरकार की तरफ से मानदेय दिया जाएगा। वह महीने में सिर्फ एक आकस्मिक अवकाश ले सकेंगे। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 2017 में तय किया था कि निजी मेडिकल कालेजों में एमबीबीएस और एमडी-एमएस करने वालों को एक-एक साल की अनिवार्य सेवा देनी होगी। अब बंधपत्र की राशि जमा कर भी इससे मुक्त नहीं हो सकते। स्वास्थ्य संचालनालय ने शनिवार को 1172 डाक्टरों की पदस्थापना के आदेश जारी किए हैं। इनमें सरकारी और निजी मेडिकल कालेज से निकले एमबीबीएस डाक्टर शामिल हैं। ये सभी 2017 बैच के हैं। इनमें करीब 700 डाक्टर निजी मेडिकल कालेजों से निकले हैं।
गौरतलब है कि 2017 में प्रदेश में सिर्फ छह निजी मेडिकल कालेज थे। अब 10 मेडिकल कालेज हो गए हैं। ऐसे में आने वाले सालों में बंधपत्र के तहत और डाक्टर मिलेंगे। मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार डा. आरके निगम ने बताया कि 2019 से एमडी और एमएस में भी निजी कालेजों में पढ़ने वाले डाक्टरों पर अनिवार्य सेवा का बंधपत्र लगा दिया गया था। यह बैच भी इस साल मेडिकल कालेजों से निकलेगा। इस तरह प्रदेश को करीब 500 मेडिकल स्पेशलिस्ट मिल जाएंगे।
बता दें कि प्रदेश में शिशु रोग विशेषज्ञ, एनस्थीसिया और स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञों की भारी कमी है। इसके अलावा सोनोग्राफी एक्स-रे और सीटी स्कैन करने के लिए रेडियोलाजिस्ट भी नहीं है। बांडेड डाक्टरों की एक साल के लिए पदस्थापना होने से विशेषज्ञों की कमी दूर हो सकेगी। बता दें कि प्रदेश में 475 अस्पताल बिना डाक्टरों के हैं। एमबीबीएस और पीजी के बांडेड डाक्टर मिलने से इन अस्पतालों में भी डाक्टर पहुंच सकेंगे, इससे मरीजों को फायदा होगा।