कुदरती तांडव के बीच तबाही का मंजर
यूपी के एक-दो नहीं बल्कि आगरा, वाराणसी, मिर्जापुर, प्रयागराज समेत 22 जिलों में बाढ़ का कहर जारी है। खास यह है कि मानसून के बावजूद भले बारिश ना हुई हो, लेकिन गंगा मइया अपनी पूरी लय पर हैं. पहाड़ों से आई पानी के साथ बैराजों से छोड़ा पानी के चलते गंगा मइया का रौद्र रुप दिखने लगा है। खतरे का निर्धारित सीमा पार कर जाने से गंगा किनारे सहित तटवर्ती इलाकों में गुजर-बसर करने वाले लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. उनके घर-गृहस्थी गंगा में समा चुके है। गंगा की सहायक नदी वरुणा में पलट प्रवाह के चलते तटवर्ती इलाके इसके आगोश में है। हालांकि बाढ़ की स्थिति पर प्रदेश सरकार लगातार नजर बनाए हुए है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बनारस व चंदौली के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। बता दें, बाढ़ के कारण आम लोगों का जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. गंगा का जलस्तर बढ़ने की वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वाराणसी में बाढ़ के हालात को देखते हुए नगर निगम और प्रशासन अलर्ट पर है. प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. वाराणसी में गंगा खतरे के निशान से 87 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है.
-सुरेश गांधी
पहाड़ से लेकर मैदान तक कुदरत का कहर जारी है। लगातार हो रही बारिश के कारण नदियां अपने पूरे उफान पर हैं। उत्तर प्रदेश में बहने वाली नदियां अपना विकराल रूप दिखा रही हैं। प्रदेश के 22 जिले बाढ़ के कारण बुरी तरह से प्रभावित हैं। गंगा, यमुना, चंबल, सरयू समेत लगभग सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। बाढ़ के कारण हजारों हेक्टेयर फसल भी बर्बाद हो चुकी है। लाखों की संख्या में लोग दूसरे स्थानों पर पलायन करके जाने को मजबूर हैं। हाल यह है तटवर्ती इलाकों के शहर-शहर व गांव के गांव में सैलाब का संकट गहराता जा रहा है। कई गांव और शहर पानी से लबालब हैं। सड़कों पर समंदर जैसा मंजर है। मतलब साफ है बारीश तो बारीश डैम भी गांवों से लेकर शहरों तक कहर बरपा रही हैं। खास यह है कि बाढ़ की मुसीबत के बीच शहरों में बदइंतजामी की बाढ़ भी देखने को मिल रही है। खास यह है जिन शहरों को सस्मार्ट शहर का दर्जा दिया गया उसी शहर में बारिश के बाद सड़क पर नाव चल रही है। लोगों की जिंदगी मजाक बन गई है और जब स्मार्ट सिस्टम बारिश की बाबाढ़ में डूब जाए तो लोग हंसें नहीं तो क्या रोएं?
कहा जा सकता है कुदरत का कहर अभी थमने से रहा। बाढ़ के बीच जलजमाव से खतरनाक बीमारी ’डेंगू’ सहित मलेरिया बुखार और चिकनगुनिया जैसी जलजनित व मच्छरजनित बीमारियां जैसे तैयार बैठी है लोगों को अपना षिकार बनाने के लिए। बाढ़ प्रभावित वाले कुछ जिलों में तो बड़े स्तर पर लोगों को चपेट में लेना शुरू भी कर दिया है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यही है कोरोना के आतंक से चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था क्या मौसमी बीमारियों से निपटने में सक्षम है? क्या कोरोना व जलजनति संक्रमित बीमारियों से दो-दो हाथ करने के लिए सरकार तैयार है, वो भी तब जब बाढ़ के तांडव से लोग घर-बार छोड़कर दर-दर भटक रहे है। मलेरिया व फाइलेरिया विभाग में कर्मचारियों की पहले से ही कमी है। जिस कारण सर्वे, छिड़काव व फागिग का कार्य नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा दोनों बीमारियों से बचने के उपाय भी एक-दूसरे से अलग हैं। डेंगू के प्रसार को कम करने या रोकने के लिए मच्छर-प्रजनन स्थलों को नष्ट करने की व्यवस्था नहीं हो पाई है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पानी का भराव होता है।
बनारस का है बुरा हाल
बनारस के गंगा घाट इन दिनों गंगा जल में विलीन हो चुके है। हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। जलस्तर लगातार बढ़ने से कछारी इलाके बाढ़ के मुहाने पर आ गए है। चाहे दशाश्वमेघ घाट हो, राजेन्द्र प्रसाद घाट हो या फिर शीतला घाट हो या अस्सी सब गंगा में समा गए है। बाढ़ पीड़ित हालातों के आगे लाचार हैं। पानी ज्यों-ज्यों बढ़ रहा है लोग घर खाली कर रहे है। बाढ़ राहत शिविर में रह रहे लोगों को वर्तमान के साथ ही भविष्य की चिंता उन्हें घेरते जा रही है। धीरे-धीरे बढ़ाव के कारण जलस्तर वर्ष 2013 के रिकॉर्ड 72.630 मीटर के करीब पहुंच रहा है। रविवार शाम ही बाढ़ का पानी काशी विश्वनाथ धाम की दहलीज तक पहुंच गया था। धाम से सटे मणिकर्णिका घाट को डूबोकर अब ऊपर घुसने लगा है। हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह गलियों में करना पड़ रहा है, तो मणिकर्णिका घाट पर केवल 10 प्लेटफार्म छत पर बचे हैं। अब गंगा रुख बस्तियों की ओर है। या यू कहे घाटों के ऊपर गंगा बहने लगी है। गंगा के रौद्र रूप से कछारवासी खौफ में है। इसका सर्वाधिक असर लोगों की जन-जीवन पर पड़ रहा है। या यूं कहे वाराणसी में बाढ़ से स्थिति लगातार बिगड़ रही है।
गंगा और वरुणा पलट प्रवाह के कारण खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शहर के निचले और ग्रामीण इलाकों में बाढ़ से हाहाकार मचा है। खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा का जलस्तर अपने उच्चतम स्तर की तरफ बढ़ रहा है। तटवर्ती इलाकों में कटान भी शुरू हो गया है जिससे किसानों में बेचैनी है। निचले इलाकों में पानी भरने की वजह से खेतों में फसल सड़ गई है वहीं पशुओं के लिए हरे चारे का भी प्रबंध करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। खासकर पानी भरे क्षेत्रों में पानी कम होने के बाद संक्रामक बीमारियों के बढ़ने की भी संभावना बढ़ गई है। वाराणसी के अलावा पूर्वांचल के बलिया, मिर्जापुर, गाजीपुर, भदोही और चंदौली जिले में भी गंगा का रौद्र रुप में हैं। गांवों में पानी घुसने के साथ ही लोगों का संपर्क टूट गया है। कई लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने के लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर रेस्क्यू में लगे हुए हैैं। जिलों में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। प्रयागराज पर दोहरा संकट है, गंगा और यमुना का बढ़ता जलस्तर डरा रहा है। संगम के किनारे के इलाके डूब चुके हैं, गंगा के साथ-साथ यमुना उफान है।
सीएम योगी ने किया दौरा, बांटी राहत सामग्री
प्रभावित जिलों में आगरा, वाराणसी, मिर्जापुर, प्रयागराज समेत प्रदेश के 22 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं। बाढ़ की स्थिति पर प्रदेश सरकार लगातार नजर बनाए हुए है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पिछले दिनों बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई दौरा किया। बुधवार को मुख्यमंत्री योगी ने गाजीपुर, चंदौली व वाराणसी का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने राहत शिविरों में जाकर जरूरतमंदों को सामग्री भेंट कीं। साथ ही हर संभव मदद का आश्वासन दिया। जिला प्रशासनों को भी खास निर्देश दिए गए हैं। मुहम्मदाबाद के अष्ट शहीद इंटर कॉलेज में बाढ़ राहत शिविर में पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन की सरकार राहत देने में कोई कोताही नहीं बरतेगी। प्रशासन को पीड़ितों की मदद के लिए सख्त हिदायत दी गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इटावा, जालौन आदि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में प्रदेश के मंत्री दौरा कर रहे हैं। वाराणसी, गाजीपुर और चंदौली के दौरे पर मैं स्वंय आया हूं।
सीएम योगी ने बताया कि उत्तर प्रदेश में औसत से कम बारिश हुई है। मध्यप्रदेश और राजस्थान से अतिरिक्त जल छोड़ने के कारण यूपी में बाढ़ की स्थिति है। इससे प्रदेश के 1100 गांव प्रभावित हुए। इसमें गाजीपुर जनपद के 33 गांवों के सात हजार लोग प्रभावित हैं। प्रशासन राहत शिविरों और घरों तक पीड़ितों को राशन पहुंचा रही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 288 नाव की व्यवस्था की गई है। 31 गोताखोर और 78 आपदा मित्र तैनात किए गए हैं। साथ ही पीड़ितों को 15 दिनों की राहत सामग्री दी जा रही है। सरकार युद्ध स्तर पर बाढ़ पीड़ितों की सहायता में जुटी है। गाजीपुर में एनडीआरएफ और फ्लड यूनिट की तैनाती की गई है। पांच हजार से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सूखे के कारण दलहन, तिलहन की बुआई प्रभावित हुई है। बहुत से किसानों की धान की खेती नहीं हो पाई है। सरकार सीमांत और लघु किसानों को दलहन, तिलहन और सब्जी खेती करने के लिए दो हजार मीट्रिक टन बीज दिए जाएंगे।