पारदर्शी और निष्पक्ष व्यवस्था हमारा संकल्प
देहरादून: शासन प्रशासन में जब भी कोई अनियमितता आती है तो अक्सर लोग राज्य के मुखिया की तरफ़ निगाह लगाते हैं कि वो क्या कार्यवाही करेंगे। लोग टटोलते हैं कि राज्य का मुखिया कहीं समझौतावादी रूख़ का तो नही है , किसी को बचाना तो नही चाहता । इन बातों को ध्यान में रखकर जब कोई मुख्यमंत्री निष्पक्ष और पारदर्शी तंत्र होने का साक्ष्य देता है तो जनता की शासन में विश्वसनीयता बढ़ जाती है। उत्तराखंड की धामी सरकार का तो मूल मंत्र ही जनता की शासन में विश्वसनीयता को बढ़ाना है। सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड मुख्यमंत्री धामी के सर्वोच्च एजेंडे में उनके शपथ ग्रहण के पहले दिन से रहा है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पारदर्शिता का प्रमाण देते हुए विधानसभा भर्ती घोटाले पर भी चाबुक चलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध करते हुए उन्हें पत्र लिखा है। पिछले कुछ समय से उत्तराखंड विधान सभा सचिवालय में नियुक्तियों को लेकर प्रदेश सरकार पर सवाल खड़े किए जा रहे थे जिस पर निष्पक्ष कार्यवाही का आश्वासन मुख्यमंत्री धामी द्वारा दिया गया था। अब उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी को पत्र लिखकर कुछ जरूरी कार्यवाही का आग्रह किया है।
इस पत्र में मुख्यमंत्री धामी का विजन साफ नज़र आता है कि वे विधि के शासन को अबाधित रूप से चलाने के लिए किसी भी असंतुलन उत्पन्न करने वाले के खिलाफ़ कठोरतम अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के लिए तैयार हैं। रितु खंडूरी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि विधानसभा एक गरिमामय स्वायत्तशासी संवैधानिक संस्था है और इस संस्था कि गरिमा को बनाये रखना हम सभी की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। विधानसभा की गरिमा , शुचिता तथा उत्तराखंड के युवा अभ्यर्थियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री धामी ने विधान सभा अध्यक्ष को इस बात पर विचार करने का आग्रह किया है कि विधानसभा सचिवालय में की गई नियुक्तियों जिनके संबंध में विवाद उत्पन्न हुआ है , के संबंध में उच्च स्तरीय जांच कराई जाय और जांच में कोई अनियमितता पाए जाने पर ऐसी सभी अनियमित नियुक्तियों को निरस्त किया जाय। मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र में यह भी लिखा है कि विधानसभा सचिवालय में भविष्य में निष्पक्ष और पारदर्शी नियुक्तियों के लिए प्रावधान किया जाय।
मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार द्वारा अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से की गई नियुक्तियों के आरोपों की गहनता से जांच कराने एवं दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्यवाही किये जाने के संबंध में कदम उठाये जा रहे हैं। गौरतलब है कि सोशल मीडिया , प्रिंट मीडिया , इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय में कुछ नियुक्तियों में अनियमितता पर बहस जोर शोर से की जा रही है। लेकिन लोगों को इस बात को समझने की जरूरत है कि नियुक्ति की अनियमितता का मामला हो या कोई भी अन्य भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला इसके लिये तमाम ऐसे लोग अलग अलग चरणों पर जिम्मेदार होते हैं जो राज्य सरकार के शीर्ष नेतृत्व के बेहतर कार्य संस्कृति , रोजगार संस्कृति , नैतिक प्रशासन के दृष्टिकोण के खिलाफ़ काम करते हैं जिसका दुष्परिणाम राज्य सरकार की स्वस्थ छवि पर पड़ता है। बिचौलिए , दलाल संस्कृति को बढ़ावा देने वाले तत्व धामी सरकार के भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड के इरादों को नहीं हिला सकते। यहां इस बात को भी ध्यान में रखना जरूरी है कि राज्य के कैबिनेट मंत्री हो, विधायक हो , प्रशासनिक महकमे के लोग हों, सचिवालय और विधानसभा में जिम्मेदार पदों पर आसीन लोग हों वो किसी भी प्रकार के प्रलोभन में न तो खुद आये न ही इसके लिए इसको को समर्थन दें , क्योंकि इससे राज्य के विकास के लिए किए गए तमाम बड़े कार्य को लोग नजरअंदाज कर राज्य सरकार की मंशा पर अनावश्यक सवाल उठाने लगते हैं जो कहीं से भी तार्किक न्यायपूर्ण नही है।
इसी विजन के साथ मुख्यमंत्री धामी का मानना है कि ये प्रदेश सभी का है और इसकी बेहतरी के लाभ सभी को मिलते हैं , इसलिए भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड बनाना सबकी जिम्मेदारी है । धामी सरकार की उत्तराखंड के युवा अभ्यर्थियों के भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता को इस बात में देखा जा सकता है कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहले उत्तराखंड में बरसों से लंबित पीसीएस परीक्षा को तत्काल कराने की मंजूरी दी थी जिसे सफलतापूर्वक संपन्न भी कराया गया। एक बात तो तय है कि अब विभिन्न पदों पर नियुक्ति की पारदर्शी व्यवस्था को मुख्यमंत्री धामी नए उत्तराखंड के निर्माण के लिए समय की मांग के रूप में देख रहे हैं।