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नए साल के जश्‍न में मुर्गों की लड़ाई, पैर में चाकू बांधकर कर कराया गया मुकाबला

cock-fightधनबाद. झारखंड सुप्रीम कोर्ट ने भले ही मनोरंजन के लिए पक्षी और जानवरों की लड़ाई पर रोक लगा दी है, लेकिन नए साल के जश्‍न में धनबाद के बाघमारा के बरोरा थाना के माथाबांध में खूब मुर्गे लड़ाए गए. इस लड़ाई के नाम पर लाखों रुपए की सटेबाजी का खेल भी हुआ.

हर साल की तरह इस बार भी इस खेल में सैंकड़ो मुर्गों की जान गई. दबे जुबान में सट्टेबाजी के इस खेल का विरोध तो कई लोग करते हैं, पर हर साल की तरह इस बार भी स्थानीय बरोरा पुलिस इस मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठी रही. सैंकड़ों की भीड़ के सामने लाखों की सट्टेबाजी हुई.

मंदिर बनाने के नाम पर सट्टेबाजी

आपको बता दें कि मुर्गे लड़ाने की परंपरा करीब 17-18 साल पुरानी है. सूर्य मंदिर के निर्माण के लिए चंदा उगाही के नाम पर मुर्गे की लड़ाई और सट्टेबाजी शुरू की गई. हालांकि इतने साल में मंदिर की एक दीवार भर खड़ी हुई है.

उधर, इलाके की बड़ी जमात मंदिर निर्माण जैसे पवित्र काम के लिए इस तरह की सट्टेबाजी का विरोध कर रही है. बावजूद इसके हर साल मुर्गे लड़ाने का खेल जारी है.

पांवों में बंधी होती है चाकू

मुर्गे को लड़ाने से पहले इनके पांवों में पतली चाकू बांध दी जाती है. इससे जब वे सामने के मुर्गे पर वार करते हैं तो उसके गले या अन्य जगहों पर चाकू का वार पड़ता है और वे तड़पने लगते हैं. इस क्रम में पूरे दिन में सैंकड़ो मुर्गों की दर्दनाक मौत होती है. इसके आयोजन के पीछे बाघमारा जनप्रतिनिधियों का हाथ बताया जा रहा है.

 

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