2015 में सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी के दायरे में क्यों रहा पश्चिम बंगाल
कोलकाता: 2015 में पश्चिम बंगाल ऐसा राज्य था जिस पर सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी रही। 2015 में ISI के साथ कथित संबंधों को लेकर राज्य से एक मज़दूर, कुछ पासपोर्ट एजेंट, एक कॉलेज छात्र और एक बारटेंडर सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद से ही यह राज्य पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के सदस्यों के लिए एक ‘सुरक्षित ठिकाने’ के तौर पर सुरक्षा एजेंसी की जांच के दायरे में आ गया है।
कोलकाता पुलिस अधिकारियों की मानें तो कथित तौर पर ISI के लिए काम करने वाले एजेंटों से जो फर्ज़ी पासपोर्ट, नकली मतदाता पहचान पत्र, आधार और राशन कार्ड हासिल हुई हैं उसने इन घुसपैठियों की देश में घुसने और यहां बसने में मदद की है। बताया जा रहा है कि बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के साथ राज्य की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की समुचित निगरानी ना हो पाने की वजह से असामाजिक तत्वों को पश्चिम बंगाल के रास्ते देश में घुसने में मदद मिलती है।
एक वरिष्ठ सीआईडी अधिकारी बताते हैं कि अक्टुबर 2014 के खगरागढ़ विस्फोट (बर्दवान) की जांच के दौरान कई दस्तावेज और सुरागों से संकेत मिले हैं कि घटना में शामिल लोग बांग्लादेश की सीमा से आए थे और उन्हें स्थानीय लोगों की मदद मिली थी। अधिकारी ने यह भी कहा कि हालांकि जांच अब भी जारी है, लेकिन संदेह है कि या तो वे स्थानीय लोग थे या फिर पिछले करीब 10 सालों से यहां आकर बस चुके एजेंट हैं।