राष्ट्रीय

हजारों चीनी सैनिक टैंक-मिसाइलों के साथ एलएसी के करीब है तैनात, भारत चाहता है डि-एस्केलेशन

नई दिल्‍ली : भारत (India) चाहता है कि पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) से सटी एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के बाद चीन (China) डि-एस्कलेशन और डि-इनडक्शन भी करे. सूत्रों के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग (Gogra-Hot Spring) की पीपी-15 से भले ही डिसइंगेजमेंट 12 सितंबर तक पूरा हो जाएगा, लेकिन एलएसी (LAC) पर अभी पूरी तरह शांति नहीं हुई है. जब तक डि-एसक्लेशन और डि-इनडक्शन नहीं होता है, तब तक पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर अप्रैल 2020 वाली स्थिति नहीं आ सकती है, जो सीमा पर शांति के लिए बेहद जरूरी है.

शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि पैट्रोलिंग-पॉइंट नंबर (पीपी) 15 पर 12 सितंबर तक डिसइंगेजमेंट पूरा हो जाएगा. यानि दोनों देशों के सैनिक पीछे हटकर अपने अपने एरिया में चले जाएंगे. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देशों की सेनाएं अपने सभी अस्थायी स्ट्रक्चर (बंकर) और उनसे जुड़े अस्थायी मूलभूत ढांचे को तोड़ देंगी. साथ ही इस इलाके की पूरी जमीन समतल कर दी जाएगी. इसके अलावा दोनों देश इस बात की तस्दीक भी करेंगे कि इस जगह पर स्टैंड-ऒफ से पहले वाली स्थिति में पहुंच गए हैं या नहीं. साथ ही दोनों देशों की सेनाएं फॉरवर्ड-डिप्लोयमेंट नहीं करेंगी.

विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देशों के बीच इस बात की सहमति बन गई है कि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (LAC) का पूरी तरह से सम्मान करेंगे और उसमें किसी भी तरफ से एकतरफा बदलाव नहीं लाया जा सकता है. साथ ही पीपी-15 विवाद सुलझने से दोनों देश बातचीत को आगे ले जाने के लिए तैयार हो गए हैं. एलएसी के बाकी विवादित इलाकों को भी सुलझाने के लिए सहमति बन गई है, ताकि भारत-चीन सीमा पर शांति स्थापित की जा सके.

सूत्रों की मानें तो एलएसी पर अप्रैल 2020 की स्थिति वापस लाने और पूरी तरह से शांति के लिए चीन को डिसइंगेजमेंट के साथ साथ डि-एस्कलेशन और डि-इनडक्शन भी करना होगा. एसक्लेशन यानि एलएसी पर चीनी सैनिकों के साथ-साथ टैंक, तोप और मिसाइलों के जखीरे में कमी लाई जाए. क्योंकि इस वक्त पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन के करीब 60 हजार सैनिक तैनात हैं. ये सभी सैनिक एलएसी के बेहद करीब तैनात हैं. ऐसे में फॉरवर्ड एरिया से डि-इनडक्शन भी बेहद जरूरी है यानि चीनी सैनिक एलएसी की फॉरवर्ड पोस्ट से वापस बैरक में चले जाएं जैसा अप्रैल 2020 में थे.

आपको बता दें कि भले ही मई 2020 के बाद खड़े हुए पैदा हुए सभी पांचों विवादित इलाकों ( गलवान घाटी, पैंगोंग-त्सो लेक से सटे फिंगर एरिया, कैलाश हिल रेंज, गोगरा-हॉट स्प्रिंग के पीपी-17 ए, पीपी 15) से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं लेकिन अभी भी पूर्वी लद्दाख में डेपसांग प्लेन और डेमचोक इलाके ऐसे हैं, जहां वर्ष 2008 और 2013 से विवाद चल रहा है. इन दोनों इलाकों को लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है.

Related Articles

Back to top button