नयी दिल्ली. पटियाला शाही परिवार के वंशज अमरिंदर सिंह सोमवार को दिगंबर कामत और एस एम कृष्णा सहित उन पूर्व मुख्यमंत्रियों की सूची में शुमार हो गए, जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का दामन थामा है। सिंह यहां पार्टी मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और किरेन रीजीजू सहित अन्य भाजपा नेताओं की मौजूदगी में भगवा दल में शामिल हुए और अपनी नवगठित पंजाब लोक कांग्रेस (पीएलसी) का विलय भी भाजपा में कर दिया।
कैप्टन के नाम से मशहूर सिंह 2002 से 2007 तक और मार्च 2017 से सितंबर 2021 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं। बाद में उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और बाद में पीएलसी का गठन किया। पिछले विधानसभा चुनाव में पीएलसी ने भाजपा और सुखदेव सिंह ढींढसा की अगुवाई वाले शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ गठबंधन कर विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि, उसका एक भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाया था और खुद सिंह को भी अपने गढ़ पटियाला शहर से शिकस्त मिली थी।
सिंह से पहले भाजपा में शामिल होने वाले पूर्व मुख्यमंत्रियों में एस एम कृष्णा का नाम प्रमुख है। कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में शुमार कृष्णा अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। वह विदेश मंत्री और राज्यपाल के पद पर भी रह चुके हैं। उन्होंने मार्च 2017 में भाजपा का दामन थामा था। दिगंबर कामत वर्ष 2007 से 2012 तक गोवा के मुख्यमंत्री रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कामत ने हाल में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने भी शिव सेना छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। कोंकण की राजनीति में खास प्रभाव रखने वाले राणे ने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा का दामन थामा था। वह महाराष्ट्र के तेरहवें मुख्यमंत्री थे और उनका कार्यकाल एक फरवरी 1999 से लेकर 17 अक्टूबर 1999 तक रहा।
मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने शिव सेना नेता मनोहर जोशी का स्थान लिया था। उत्तराखंड के छठे मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने भी पद छोड़ने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। वह मार्च 2012 से जनवरी 2014 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। भाजपा में शामिल होने वाले एक अन्य मुख्यमंत्री एन किरण रेड्डी हैं। वह आंध्र प्रदेश के 16वें मुख्यमंत्री थे। वह नवंबर 2010 से मार्च 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे। तेलंगाना के गठन से पूर्व वह संयुक्त आंध्र प्रदेश के आखिरी मुख्यमंत्री थे। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए थे। कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता नारायण दत्त तिवारी तीन बार उत्तर प्रदेश के और एक बार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे।
साल 2017 के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा का दामन थामा था। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। सितंबर 2016 में वह कांग्रेस के 43 विधायकों के साथ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए थे। यह पार्टी भाजपा की सहयोगी थी। बाद में वह राज्य के मुख्यमंत्री बने। एन बीरेन सिंह ने अक्टूबर 2016 में कांग्रेस छोड़ दी थी और तत्कालीन मुख्यमंत्री ओ इबोबी सिंह के खिलाफ विद्रोह कर दिया था।
इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। साल 2017 में वह मणिपुर के मुख्यमंत्री बने। इन नेताओं के अलावा बाबूलाल मरांडी ऐसे नेता हैं जिन्होंने अपनी पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का 2020 में भाजपा में विलय करा लिया था। वह झारखंड के पहले मुख्यमंत्री थे। उस वक्त वह भाजपा में ही थे लेकिन मतभेदों के कारण उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी और अपनी पार्टी बना ली थी।
पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा कांग्रेस व अन्य दलों के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी हाल के वर्षों में भाजपा की राजनीति को अंगीकार किया है। इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, आर पी एन सिंह और जितिन प्रसाद शामिल हैं। सिंधिया आज भी केंद्र सरकार में मंत्री हैं। पूर्व कांग्रेस नेता हिमंत बिस्व शर्मा ने भी देश की सबसे पुरानी पार्टी को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। वह असम सरकार में मंत्री थे। शर्मा आज असम के मुख्यमंत्री हैं।
पिछले कुछ वर्षों में सुवेंदु अधिकारी (तृणमूल कांग्रेस), कुलदीप बिश्नोई, भुवनेश्वर कलिता, खुश्बू सुंदर, सतपाल महाराज, रीता बहुगुणा जोशी (सभी कांग्रेस) और गौरव भाटिया (समाजवादी पार्टी) भाजपा में शामिल हुए हैं।