दस्तक-विशेष

अपमान किसका…? प्रधानमंत्री का या देहाती महिला का

 अपमान किसका…? प्रधानमंत्री का या देहाती महिला का
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने न्यूयॉर्क में एक पत्रकार से कहा कि भारत के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह देहाती औरत की तरह छोटी-छोटी बातों पर भी शिकायत करते हैं, हालांकि नवाज शरीफ ने बाद में कह भी दिया कि उनने ऐसा नहीं कहा, परन्तु अगर उनने कहा भी तो चर्चा का विषय यह नहीं होना चाहिये की प्रधानमंत्री को देहाती औरत क्यों कहा गया, बल्कि यह होना चाहिये कि यह अपमान भारत की करोड़ों देहाती महिलाओं का है और देहाती महिलाओं का वोट भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शहरी महिलाओं का।
भारत में गांव को देहात बोला जाता है और वहां के बाशिंदे ग्रामीण या देहाती कहलाते हैं, गंवार का अर्थ भी ग्रामीण है, जो शहरी सभ्यता से दूर खेत-खलिहानों मवेशियों के बीच रहते हैं, आज देहाती महिलायें पंच-सरपंच बनकर पंचायती राज की प्रथम सीढ़ी पर हैं, परन्तु आजकल देहाती या गंमैयां को नालायक बेवकूफ के अर्थों में प्रयोग किया जाने लगा है। भले ही नवाज शरीफ आतंकवादी घटनाओं को छोटी बात मानकर उन्हें लगा हो कि डॉ. मनमोहन सिंह ने अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से पाकिस्तान की शिकायत की है, परन्तु उन्हें जान लेना चाहिये कि भारत की ग्रामीण महिलायें निरक्षर हो सकती हैं, उनने देश-दुनियां न भी देखी हो पर वे मूर्ख नहीं होती। वे देहाती महिलायें शोध का विषय है कि कम से कम पैसे में परिवार की जरूरतें पूरी करती हैं, घर और खेत संभालती है तथा इतनी समझदार होती हैं कि हवा के रूख को भांपकर, मिट्टी की गंध से पहचान लेती हैं कि कब क्या करना है। जब शहरी महिलायें प्रसव पूर्व आराम करती हैं तब देहाती महिलायें खेत-खलिहान में काम करते-करते बच्चा जनती है। हां वे दिनभर की बाते अपने पति से शेयर करती हैं तथा जब अन्य महिलाओं से मिलती हैं तब अपना सुख, दुःख बांटती है। कई देहाती महिलायें हल में बैलों की जगह जुतकर वो काम करती है जो शहरी महिला कभी नहीं कर सकती।
श्री रामचरित मानस में ठेठ देहातों जंगलों की महिलाओं का वर्णन है जो वनगमन के समय राम-सीता लक्ष्मण को देखकर कहती हैं कि वे माता-पिता कितने –
‘ते पितु-मातु कहऊ सखि कैसे,
जिन्ह पठये तिन बालक ऐसे’
कठोर होंगे जिनने ऐसे सुकुमारों को वन भेज दिया, वे देहाती महिलायें राजा दशरथ और रानी केकयी की बुद्धि पर आश्चर्यमिश्रित दुःख व्यक्त करती है।
नवाज शरीफ को मालुम होना चाहिये कि भारत की ८० प्रतिशत आबादी ग्रामीण है और सवा अरब की आबादी में वे ९६ करोड़ है जिनमें ४८ करोड़ देहाती महिलायें हैं और प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह उनका भी प्रतिनिधित्व करते हैं ऐसे में नवाज शरीफ ने देश की ४८ करोड़ देहाती महिलायों का अपमान किया है जिसका उन्हें अधिकार नहीं हैं, वे देहाती महिलायें भारत की उन माताओं में है जिनने डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. अब्दुल कलाम जैसे नगीनों को जन्म दिया, वे पहले भी पूज्य थी आज भी उतनी ही पूज्य है.

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