रीयल लाइफ हीरो बनना चाहता हूं : अक्षय कुमार
निश्चित रूप से रोमांचित हूं, लेकिन मैं काफी व्यावहारिक भी हूं। उम्ममीद से ज्यादा प्रतिक्रिया मिली है। जब आप इस तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद या अपेक्षा नहीं करते हैं, जब लोग सहज प्रतिक्रिया करते हैं, तभी एक्टर को अपने काम को लेकर उत्साह रहता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि यहां से आगे क्या होगा, अधिकांश लोग इस जर्नी को पूरी तरह से महसूस करेंगे या नहीं, पर कम से कम मुझे मालूम रहेगा कि उन्होंने फिल्म की विचारधारा को पसंद किया।
फिल्म सच्ची कहानी पर आधारित है। फिल्म के हिसाब से उसका क्या ट्रीटमेंट रहा?
इसे एपिक वॉर फिल्म बनाने की बजाय हम लोगों को यह बताना चाहते थे कि इराक युद्ध के दौरान कुवैत में भारतीयों को किस दौर से गुजरना पड़ा, तब जब इस लड़ाई से उनका कोई लेना-देना नहीं था। लोगों को उकसाने के लिए फिल्म में बढ़ा-चढ़ा कर युद्ध को दिखाने की कोशिश नहीं की गई है। ‘एयरलिटी’ उस ‘कहानीÓ के बारे में है, जो हमें कभी नहीं कही गई। यह उस रक्षक के बारे में है, जो बुरे दौर से गुजरा।
फिल्म में आपके खास तरह के एक्शन सीन नहीं हैं?
फाइटिंग से ब्रेक लेना अच्छा रहा, जो मैं 2015 में पूरे साल करता रहा था। यह साल शारीरिक रूप से मेरे लिए काफी निष्ठुर रहा, हालांकि मैं आपको बता नहीं सकता कि मैं उसे अब भी कितना एंजॉय करता हूं। ‘एयरलिटी’ में मैं एक सफल धनी व्यक्ति के रोल में हूं, हालांकि केवल पांच मिनट के लिए। उसके संघर्ष को रीक्रिएट करना और अपने साथी भारतीयों के लिए उसकी करुणा को मेरे लिए समझना आसान था, क्योंकि यदि मैं उसकी स्थिति में होता तो वही करता, जो उसने किया।
किस तरह?
मैं बेहद प्रोटेक्टिव हूं। यदि इस तरह की त्रासदी फिर कभी हुई तो मैं वह शख्स रीयल लाइफ में होऊंगा, जो लोगों को जरूरत की सुरक्षा देता है। फिल्म की सबसे बढिय़ा बात है कि यह आप में वैसा आदमी बनने की चाह पैदा करती है। यह जबड़ा तोडऩे वाली फिल्म नहीं है। आंखें खोलने वाली फिल्म है।
लगता है, आप इस मुहिम पर हैं।
अपने लोगों पर आने वाले संकट को मैं नहीं रोक सकता, पर उन पर एक बार कोई तकलीफ आ जाए तो सोचता हूं कि उनकी मदद कर सकता हूं। जिस तरह मैं मुंबई में औरतों की आत्मरक्षा के लिए करता हूं। मैं औरतों पर अत्याचार करने से लोगों को नहीं रोक सकता, पर ज्यादा से ज्यादा औरतों को आत्मरक्षा के लिए प्रशिक्षित करने की कोशिश करूंगा। मराठी किसानों की फसलें तो नहीं उगा सकता, पर यदि फसल खराब रहती है तो उतना सहयोग कर ही सकता हूं कि उन्हें अपने जीवन का अंत नहीं करना पड़े। ईश्वर ने मेरे हाथों में जरूरत के समय दूसरों को थामने की पर्याप्त ताकत दी है। मैं महज ऑॅनस्क्रीन हीरो नहीं बनना चाहता, अपने बच्चों को बताना चाहता हूं कि रीयल हीरो बनने के लिए रीयल एक्शन की जरूरत होती है।