अशोक गहलोत को करना ही होगा त्याग? सचिन पायलट होंगे खुश!
नई दिल्ली। राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) में करीब सवा दो साल बाद फिर बगावती तेवर (rebellious attitude) देखने को मिल रहे हैं। इसके चलते कांग्रेस में अध्यक्ष और राजस्थान (Rajsthan) के लिए नये मुख्यमंत्री (CM) का चयन उलझ गया है। सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की संभावनाओं को देखते हुए गहलोत समर्थक विधायकों ने कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इधर, सचिन पायलट (Sachin Pilot) खेमे ने पूरे मामले पर चुप्पी साध रखी थी, लेकिन अब सचिन पायलट (Sachin Pilot) भी इस लड़ाई में खुलकर सामने आते दिखाई दे रहे हैं।
आपको बता दें कि सीएम अशोक गहलोत भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री पद का मोह नहीं त्याग पा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें ऐसा करने के लिए मना रही है। आनंद शर्मा, अंबिका सोनी समेत कई वरिष्ठ नेताओं को सोनिया गांधी ने जिम्मेदारी दी है कि वह अशोक गहलोत को राजी करें कि वह अध्यक्ष पद का नामांकन दाखिल करें। यही नहीं गहलोत को समझाया जा रहा है कि यदि वह हाईकमान की नाराजगी से बचना चाहते हैं तो अध्यक्ष पद स्वीकारें और अगले सीएम को चुनने का फैसला सोनिया गांधी पर ही छोड़ दें। हाल ही में विधायक दल की बैठक से अलग मीटिंग होने पर हाईकमान अशोक गहलोत के करीबियों को नोटिस देकर संदेश जरूर देना चाहता है, लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि कोई बड़ा ऐक्शन भी लेने से बच रहा है। ऐसे में किसी के लिए भी अहं का सवाल न बने और रास्ता भी निकल आए, इस पर विचार चल रहा है।
इसी सिलसिले में मल्लिकार्जुन खड़गे, आनंद शर्मा और अंबिका सोनी ने गहलोत से बात की है। इसके अलावा पार्टी प्लान बी पर भी काम कर रही है। इसके तहत कुछ सीनियर नेताओं को तैयार रखा गया है कि यदि गहलोत राजी नहीं होते हैं तो वे अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करें। शायद इसी रणनीति के तहत 29 और 30 सितंबर को ज्यादातर सीनियर नेताओं को दिल्ली में रहने को कहा गया है। राजनीति से संन्यास का ऐलान करने वाले एके एंटनी को भी सोनिया गांधी ने बुलाया था, जिन्हें कांग्रेस का संकटमोचक कहा जाता रहा है।
बता दें कि कांग्रेस लीडरशिप ने विधायकों की अलग मीटिंग करने को लेकर अशोक गहलोत के करीबी मंत्रियों शांति धारीवाल और महेश जोशी को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। कांग्रेस हाईकमान ने अध्यक्ष पद के नामांकन के लिए मीरा कुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, कुमारी शैलजा, दिग्विजय सिंह, मुकुल वासनिक जैसे नेताओं को भी तैयार रहने को कहा है। फिलहाल प्रयास यही चल रहे हैं कि अशोक गहलोत को समझा लिया जाए और उनका नामांकन करा दिया जाए। इस बीच शशि थरूर का कहना है कि वह 30 सितंबर को नामांकन दाखिल करेंगे। इस बीच अशोक गहलोत पर हाईकमान के ऐक्शन न लेने और उन्हें अध्यक्ष पद के लिए राजी करने की कोशिशों ने पायलट को एक बार फिर उड़ान की उम्मीद दे दी है।
माना जा रहा है कि सीएम पद का फैसला सोनिया पर छोड़ा जाएगा तो वह सचिन पायलट को ही कमान दे सकती हैं, जो लंबे समय से दावेदारी कर रहे हैं। इस तरह कांग्रेस पूरे संकट को बिना किसी पर कड़ा ऐक्शन लिए ही निपटा सकती है।