ज्ञान भंडार
नवरात्रि में मां दुर्गा को पूजा में न चढ़ाएं ये चीज
नई दिल्ली : अश्विन नवरात्रि की 26 सितंबर 2022 से शुरुआत हो चुकी है। नवरात्र के 9 दिनों तक मां को प्रसन्न करने के लिए घटस्थापना, अखंड ज्योति, आरती, भजन किए जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं में मां दुर्गा की पूजा में नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है। जातक की एक गलती से व्रत और पूजा तो व्यर्थ जाती ही है भविष्य में उसे दुष्परिणाम भी झेलने पड़ते हैं।
नवरात्रि में कौन से कार्य करना उचित है और किन कामों की सख्त मनाही है आइए जानें
- नवरात्रि में शुद्धता का खास ख्याल रखें। तन और मन दोनों की शुद्धता बहुत जरूरी है। नवरात्र के दिनों में घर में गंदगी बिल्कुल न होने दें। रोजाना स्नान के बाद साफ धुले वस्त्र ही धारण करें। किसी के लिए बुरे विचार मन में न लाएं।
- देवी को प्रसन्न करने के लिए मंत्र जाप बहुत सरल पूजा है, लेकिन सिर्फ अपनी ही माला से जाप करें। मंत्र जाप के लिए मंत्रों का उच्चारण जोर से बोलकर न करें। मन ही मन जपें।
- पूजा में देवी मां को दूर्वा घास अर्पित न करें। दुर्गा मां की उपासना में दूर्वा वर्जित है।
- जिन घरों में घटस्थापना और अखंड ज्योति जलती है या जो लोग व्रत रखते हैं वह 9 दिन तक शारीरिक संबंध न बनाएं। ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें, नहीं तो पूजा का फल नहीं मिलेगा।
- नवरात्रि में जितने दिन व्रत का संकल्प लें उसे पूर्ण करें अन्यथा संकल्प न लें। पहले दिन, अष्टमी और नवमी का व्रत करने से भी पूजा का फल मिलता है।
- घर में 9 दिन तक सात्विक भोजन ही बनाएं। फलाहार भी एक समय ही करें। मांस, मदिरा का सेवन वर्जित है। ऐसा करने पर देवी का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।
- वैसे तो महिलाओं का अपमान कभी नहीं करना चाहिए लेकिन विशेषकर नवरात्रि में स्त्रियों और कन्याओं को अपशब्द न कहें। ना ही उनसे गलत व्यवहार करें। ऐसा करने पर देवी नाराज हो जाती हैं।
नवरात्रि में क्या करें
- नवरात्रि में साफ सफाई के बाद घर के द्वार पर हल्दी, कुमकुम से मां के पद चिन्ह बनाएं। दरवाजे के दोनों ओर स्वास्तिक लगाएं।
- मां दुर्गा की पूजा जब भी करें सारी सामग्री अपने पास रख लें, ताकी पूजा में बार-बार उठना न पड़े। बीच पूजा से उठना अच्छा नहीं माना जाता।
- देवी मां की सुबह-शाम आरती करें। नवरात्रि में हर दिन के अलग-अलग रंगों का विशेष महत्व है। साथ ही मां को हर दिन उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं।
- देवी माँ की पूजा ईशान कोण में ही करें। अखंड ज्योति को पूजा स्थल पर दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर रखें। कलश स्थापना सिर्फ शुभ मुहूर्त में ही करें।
- व्रत में फलाहार, जूस, दूध पी सकते हैं। नमक युक्त चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- अखंड ज्योति में नियमित रूप से घी या तेल डालते रहें। देवी की पूजा के बाद दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ और भजन जरूर करें, व्रत का फल तभी मिलता है।
- नवरात्रि में कन्या पूजन विशेष फलदायी माना गया है। अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं की पूजा कर उन्हें भोजन कराएं।
- जौ बोने के लिए सिर्फ स्वच्छ मिट्टी और मिट्टी के पात्र का ही इस्तेमाल करें। नवरात्रि का पूजन समाप्त होने पर ज्वारों को नदी में प्रवाहित कर दें।