कोलकाता (एजेंसी)। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश ए.के. गांगुली ने सोमवार को प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम को लिखे पत्र में दावा किया है कि उनको बदनाम करने के लिए साजिश रची गई। उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की जांच समिति की रिपोर्ट पर कई सवाल खड़े किए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में गांगुली को ‘अशोभनीय आचरण’ का दोषी ठहराया है। गांगुली पर एक कानून की प्रशिक्षु ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। गांगुली ने अपने पत्र में कहा है ‘‘एक प्रशिक्षु द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर मीडिया में जो कुछ चल रहा है उस पर काफी विचार करने के बाद मैं अपनी चुप्पी तोड़ने पर मजबूर हुआ हूं। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैंने कभी भी अपनी किसी महिला प्रशिक्षु के साथ कोई अशोभनीय आचरण नहीं किया है।’’ गांगुली ने पत्र की प्रति राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी भेजी है। गांगुली ने सर्वोच्च न्यायालय की समिति की जांच प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए हैं जिसकी वजह से उन्हें बंदी की तरह पेश किया जा रहा है। अपने इस पत्र में उन्होंने और भी कई मुद्दे उठाए हैं। गांगुली ने दावा किया कि प्रशिक्षु द्वारा समिति के समक्ष दिए गए हलफनामे की प्रति उन्हें नहीं दी गई लेकिन बाद में इसे मीडिया में लीक कर दिया गया। उन्होंने मामले की त्वरित जांच की मांग करते हुए कहा कि उन्हें बदनाम करने के लिए यह सब किया गया। गांगुली ने कहा ‘‘मुझे कहा गया कि प्रशिक्षु ने कुछ अनुलग्नक के साथ बयान दिया है। मैंने विनम्रता से उसकी प्रति मांगी। लेकिन मुझे रूखे व्यवहार के साथ कहा गया कि प्रक्रिया गोपनीय है आपको प्रति नहीं दी जा सकती।’’ कहा ‘‘लेकिन एक बांग्ला समाचार पत्र में इसके महत्वपूर्ण अंश देखकर मैं क्षुब्ध रह गया।’’ पूर्व न्यायाधीश ने कहा ‘‘समाचार पत्र ने कहा कि उसे कानून मंत्रालय से सामग्री हासिल हुई है। इसीलिए मैं त्वरित जांच की मांग करता हूं कि किसके इशारे पर यह लीक की गई। मेरा मानना है कुछ निहित स्वार्थों द्वारा मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।’’ 2जी आवंटन मामले में फैसला सुनाने वाले न्यायाधीश गांगुली ने कहा ‘‘घटनाक्रम को देखने से पता चलता है कि मेरी छवि ध्वस्त करने के लिए ऐसा किया गया। दुर्भाग्यवश मैंने कुछ ऐसे फैसले दिए जो शक्तिशाली लोगों के खिलाफ थे। विषम परिस्थितियों के बावजूद मैंने बिना भय के फैसले दिए।’’उन्होंने कहा ‘‘अगर मेरे खिलाफ एक साथ हमले किए जा रहे हैं तो यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर खतरा है।’’ उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने गांगुली को पिछले दिसंबर में एक होटल के कमरे में कानून की एक प्रशिक्षु के साथ अशोभनीय आचरण करने का दोषी ठहराया है। गांगुली इस समय पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं। प्रशिक्षु वकील ने सबसे पहले छह नवंबर को जर्नल ऑफ लॉ एंड सोसायटी के एक ब्लॉग पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उसके बाद उसने ‘लीगली इंडिया’ वेबसाइट के साथ एक साक्षात्कार में आरोप को दोहराया।