अद्धयात्म

पौराणिक ग्रंथों में उल्लेखित अनोखे शाप

shap_01_01_2016प्राचीन काल में शाप देने का प्रचलन था। शाप देने के बारे में संपूर्ण उल्लेख हमारे धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। वाल्मीकि रामायण और महाभारत में ऐसी ही कई शाप का उल्लेख है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी राजा अनरण्य ने रावण को शाप दिया था।

हुआ यूं कि जब राजा अनरण्य विश्वविजय के लिए निकले तो उनका सामना रावण से हुआ। उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई। लेकिन मरने से पहले उन्होंने शाप दिया कि रावण की मृत्यु उन्हीं के वंश में जन्में किसी राजकुमार से होगी। समय बीतता गया रघुवंश में श्रीराम का जन्म हुआ। श्रीराम ने रावण का संहार किया।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार ही जब भगवान शिव से मिलने रावण कैलाश गया तब नंदीजी को देख, रावण ने उनका उपहास किया। रावण ने नंदी जी को वानर कहा। नंदी जी नाराज हो गए और रावण को शाप दिया की तुम्हारा अंत वानर जाति के कारण ही होगा।

महाभारत में भी शाप के कई उल्लेख मिलते हैं महाभारत के शांतिपर्व के अनुसार जब युधिष्ठिर को पता चला कि कर्ण उनका बड़ा भाई था तो कर्ण का उन्होंने अंतिम संस्कार और तर्पण किया। लेकिन कुंती ने यह बात छिपाई थी कि कर्ण पांडव है। युधिष्ठिर नाराज थे तब उन्होंने संपूर्ण नारी जाति को शाप दिया कि वो कभी भी किसी बात को छिपा नहीं सकेंगीं।जब पांडव स्वर्ग की ओर चले गए तब पांडवों के वंश में अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित ने शासन किया। परीक्षित के राज्य में सभी सुखी थे। एक बार राजा परीक्षित शिकार के लिए जंगल में चले गए। वह काफी दूर पहुंचे तब उन्हें शमीक नाम के ऋषि दिखाई दिए।

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वह मौन उपासना कर रहे थे, राजा ने उनसे जल का पूछा, लेकिन उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया। तब राजा परीक्षित ने उनके गले में मरा हुआ सांप डाल दिया। ऋषि की तप भंग हो गई। और उन्होंने राजा परीक्षित को शाप दिया कि उनकी मृत्यु तक्षक नाग के काटने से होगी।

 

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